कुंजेश कुमार पतसारिया
बिजनेस रेमेडीज/ जयपुर। राज्य वितरण निगमों की ओर से इस वर्ष तुलनात्मक रूप से लगातार ट्रांसफॉमर्स की मांग बढ़ रही है और ट्रांसफॉमर्स के अधिक सप्लाई आर्डर भी दिए गए हैं। सभी टेंडरों के कार्य आदेशों में ट्रांसफॉमर्स की सप्लाई शुरू हो चुकी है या शुरू होने के नजदीक है, लेकिन उद्योगों को कच्चे माल की कमी व उनकी बढ़ती हुई कीमतें परेशान कर रही हैं।
जहां ट्रांसफार्मर टैंक तो अपेक्षित मात्रा में किसी भी कीमत पर उपलब्ध नहीं हैं। इस वजह से फैक्ट्रियों में उत्पादन की गति काफी धीमी हो गई है। वहीं एल्युमीनियम वायर्स व स्ट्रिप्स की भी यही स्थिति हैं। सरकार व डिस्कॉम्स को ट्रांसफॉमर्स की सख्त आवश्यकता भी है। वहीं निर्माता डिस्कॉम्स को समय पर सप्लाई भी देना चाहते हैं, लेकिन कच्चे माल की कमी के कारण और बढ़ती हुई कीमतों के कारण वे समय पर सप्लाई नहीं दे पा रहे हैं। समय पर सप्लाई न होने की दशा में वे जबरदस्ती पैनल्टी के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। दूसरी तरफ डिस्कॉम्स भले ही पिछले पेंडिंग भुगतान बहुत समय गुजर जाने के बाद भी नहीं कर पा रहे हो, लेकिन फर्मों को नई सप्लाई देने पर 7 से 15 दिन में भुगतान का वादा कर जल्दी सप्लाई के लिए कह रहे हैं। ट्रांसफार्मर निर्माण में लगने वाली सीआरजीओ/ अमोर्फस कोर, जोकि ट्रांसफार्मर की कुल लागत का 25 से 35 फीसदी हिस्सा होता है, इसकी उपलब्धि की पिछले काफी समय से किल्लत बनी हुई है। इस मैटेरियल के लिए काफी हद तक चीन से आयात पर निर्भर हैं, लेकिन केंद्र सरकार चीन से आयातित प्रत्येक कच्चे माल के आयात को निरुत्साहित करना चाहती है। अब चूंकि भारत में इस माल की सहज व प्रचुर मात्रा में उपलब्धता नहीं हैं। साथ ही विश्व के अन्य विकसित बाजारों में भी इन मैटेरियल्स की उपलब्धता की कोई बहुत अच्छी स्थिति नहीं हैं। इस वजह से इस माल के भावों में खूब तेजी है और भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
कंपनियों के लाइसेंस मार्च,2025 तक ही मान्य
वर्तमान व्यवस्था के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने विदेशों में भी सीआरजीओ/अमोर्फस कोर बनाने वाली कंपनियों को लाइसेंस दे रखें हैं, जो कि अधिकतर कंपनियों के लाइसेंस मार्च,2025 तक मान्य हैं। सम्भावना यह भी बताई जा रही है कि मार्च, 2025 के बाद ये लाइसेंस नवीनीकरण से केंद्र सरकार इंकार भी कर दे। बाजार में ऐसी बातों का बोल-बाला चरम पर है और यह स्थिति वर्तमान व भावी स्थिति और भी बिगाड़ सकती हैं। कई प्रोजेक्ट्स आरडीएसएस, टीडब्लू आदि जोकि केंद्र व राज्य सरकार की कई योजनाओं के अंतर्गत चल रहे है। इसके लिए भी भारी समस्या पैदा हो सकती हैं। इसलिए सरकार को इस असमंजस की स्थिति का निवारण करना चाहिए, ताकि उचित कीमत में आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धि सुनिश्चित हो सके।
-सुरेंद्र बजाज, कोषाध्यक्ष, राजस्थान ट्रांसफॉमर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन