Sunday, October 19, 2025 |
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Narayana Hospital हॉस्पिटल ने Bone Marrow Transplant सेवाओं के साथ कैंसर देखभाल का दायरा बढ़ाया

by Business Remedies
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बिजऩेस रेमेडीज/जयपुर Narayana Hospital, जयपुर ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर शहर में अपना पहला सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने की घोषणा की। यह उपलब्धि क्षेत्र के मरीजों के लिए उन्नत और जीवनरक्षक कैंसर उपचार को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ट्रांसप्लांट 56 वर्षीय महिला मरीज का किया गया, जो हाई-रिस्क मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थीं । यह एक प्रकार का रक्त कैंसर है जो बोन मैरो में पाए जाने वाले प्लाज़्मा सेल्स को प्रभावित करता है। पिछले एक वर्ष से विभिन्न उपचारों के बावजूद स्थिति नियंत्रित नहीं हो पा रही थी। नारायणा हॉस्पिटल में मरीज को टार्गेटेड थेरेपी देने के बाद ऑटोलॉगस बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया, जिसमें मरीज के अपने स्वस्थ स्टेम सेल्स का उपयोग किया गया। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कड़ी निगरानी में मरीज को तेजी से स्वास्थ्य में सुधर मिला और ट्रांसप्लांट के 20 दिन बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
Bone Marrow हड्डियों के भीतर मौजूद स्पंजी ऊतक होता है जो रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। जब ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, मल्टीपल मायलोमा या एप्लास्टिक एनीमिया जैसी बीमारियां बोन मैरो को नुकसान पहुंचाती हैं, तब ट्रांसप्लांट के माध्यम से स्वस्थ स्टेम सेल्स से इसे बदला जाता है। Bone Marrow Transplant  दो प्रकार के होते हैं – एलोजेनिक (डोनर से लिए गए सेल्स) और ऑटोलॉगस (मरीज के अपने सेल्स)। एलोजेनिक ट्रांसप्लांट में इंफेक्शन या अंगों को नुकसान जैसी जटिलताएं हो सकती हैं, जबकि ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट में ऐसी समस्याएं कम होती हैं और रिकवरी तेज़ होती है।
कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. प्रीति अग्रवाल, का कहना है, ‘यह उपलब्धि कई वर्षों की तैयारी और निवेश का परिणाम है। ऑटोलॉगस बोन मैरो ट्रांसप्लांट लिंफोमा और मल्टीपल मायलोमा जैसे रक्त कैंसर के मरीजों में रिकवरी और रिमिशन की दर को बेहतर बनाता है। चूंकि इसमें मरीज के अपने स्टेम सेल्स का उपयोग होता है, इसलिए जटिलताओं की संभावना कम होती है और इम्यून सिस्टम जल्दी मजबूत होता है।’ इस अवसर पर डॉ. रोहित स्वामी (सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी), डॉ. प्रशांत कुम्भज (सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी), डॉ. तृप्ति बारोट (ब्लड ट्रांसफ्यूजन स्पेशलिस्ट), डॉ. प्रदीप कुमार गोयल, क्लिनिकल डायरेक्टर, सीनियर कंसल्टेंट एवं एचओडी – एनेस्थीसिया एवं क्रिटिकल केयर, और बलविंदर सिंह वालिया, फैसिलिटी डायरेक्टर उपस्थित रहे।
क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार गोयल ने कहा, कि यह सफलता केवल चिकित्सा दृष्टि से ही नहीं, बल्कि हमारी टीम वर्क और क्रिटिकल केयर की उत्कृष्ट क्षमता का प्रमाण है। मरीज की निगरानी से लेकर संक्रमण नियंत्रण तक, हर पहलू को उच्चतम सुरक्षा मानकों के साथ संभाला गया। अब हम जयपुर में ही सम्पूर्ण ट्रांसप्लांट सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे मरीजों को राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। फैसिलिटी डायरेक्टर श्रीमान् बलविंदर सिंह वालिया ने कहा, “हमने विशेष आइसोलेशन रूम, स्टेम सेल लैब और प्रशिक्षित चिकित्सा टीमों में निवेश किया है ताकि मरीजों को विश्वस्तरीय कैंसर उपचार यहीं जयपुर में मिल सके। इससे मरीजों और उनके परिवारों को आर्थिक और मानसिक दोनों रूप से राहत मिलेगी। नारायणा हॉस्पिटल अब अपने बोन मैरो ट्रांसप्लांट कार्यक्रम को और विस्तार देने की दिशा में काम कर रहा है और समाज से अपील की है कि अधिक से अधिक लोग स्टेम सेल डोनेशन रजिस्ट्रेशन में भाग लें, क्योंकि एक साधारण चीक स्वाब (गाल का नमूना) भी किसी की जान बचा सकता है।

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