बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। हुक्मगच्छाधिपति, नानेश पट्टधर,जैन जगत की दिव्य विभूति,संयम सुमेरु जैनाचार्य प्रवर विजयराज महाराज ने बुधवार को राजापार्क, गोविंद मार्ग स्थित आदर्श विद्या मंदिर के पीछे ११ दिन की अखंड मौन साधना के बाद मंगल देशना कर श्रद्धालुओं से प्रवचन में कहा कि इच्छाओं को त्यागकर विजय प्राप्त करें और अच्छे मानव बनें। इच्छाओं को त्यागने के लिए सर्वोत्तम मार्ग मौन है। लगातार प्रयास करने से इच्छाओं को त्यागा जा सकता है। मन में कई विचार या सोच तो आते हैं, लेकिन संकल्प के साथ कोई कार्य किया जाए तो उसमें सफलता जरूर मिलती है। संकल्प एक महत्वपूर्ण मानसिक प्रक्रिया है, जो मानव को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है और उसे अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। जैनाचार्य ने कहा कि उन्होंने मौन साधना में श्रावक-श्राविकाओं के बारे में लिखा और भजन बनाए। मौन साधना की उपयोगिता के बारे में महाराज ने विस्तृत व्याख्या कर इसके फायदे भी बताए। महाराजश्री के प्रवचन से पहले संसघ मुनियों-साध्विओं ने मौन रखने की फायदे और मंगल पाठ की महत्वता तथा कर्तव्य के बारे में जानकारी दी।
गुरुदेव का सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं के साथ मंगल प्रवेश आज
संघ महामंत्री नवीन लोढ़ा ने बताया कि आचार्य विजयराज अपनी शिष्य मंडली के सात 4 जुलाई सुबह नवकारसी के बाद 7.30 बजे खींवसरा परिवार के निवास स्थान 489, आचार्य कृपलानी मार्ग से Ÿविजय गुरुदेव की चातुर्मासिक प्रवेश विहार यात्रा आचार्य कृपलानी मार्ग,गोविंद मार्ग,विद्यालय मार्ग,सूर्य मार्ग होते हुए तिलक नगर अष्टा स्पोर्ट्स एकेडमी के सामने नवकार भवन में पहुंचेगी। इस विहार यात्रा में जयपुर सहित देश के विभिन्न भागों से सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं शामिल होंगे।
साधु-संतों एवं साध्वियों की टोली आएगी जैनाचार्य के साथ
वरिष्ठ श्राविका सिंपल चोरडिय़ा ने बताया कि जयपुर के इस पुण्योदयम चातुर्मास में शांत क्रांति संघनायक,नानेश पट्टधर जैनाचार्य प्रवर विजयराज जी महाराज के साथ संत विनोद मुनि,अनुपम मुनि, दिव्यम मुनि,नीरज प्रिय मुनि,नमन प्रिय मुनि,सूर्यप्रभ मुनि,जय सुमतिप्रभ मुनि,जय मंथन प्रभ मुनि,जय विरलप्रभ मुनि एवम महासती प्रभावती, महासती पदमश्री, महासती अभिलाषाश्री,महासती नेहाश्री, महासती समताश्री,महासती युगप्रभा, महासती निशांतश्री, महासती जिज्ञासाश्री, महासती प्रवृत्तिश्री, महासती लावण्यश्री, महासती संयम प्रभा, महासती चिंतन प्रज्ञा, महासती दीप्तीश्री, महासती आनंदप्रिया, महासती अनमोल प्रिया, महासती महकप्रभा, महासती मोहक प्रभा,महासती स्नेह प्रभा, महासती निरंतर प्रभा एवं महासती दीपप्रभा भी जयपुर आ गए हैं।
धर्म, ध्यान, तप-जप,
साधना-आराधना पर होंगे प्रवचन
महिला संघ अध्यक्ष मीना कांकरिया ने बताया कि विजय गुरुदेव के चार माह के चातुर्मास के दौरान पूरे चार माह धर्म ध्यान, तप-जप, साधना-आराधना पर प्रवचन किए जाएंगे। चार माह नित्य प्रति गुरु भगवन के मुखारविंद से जिन वाणी गूंजेगी। इसके अलावा चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
