Wednesday, October 16, 2024 |
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अगले दशक में दुनिया की आर्थिक वृद्धि में 20 प्रतिशत का योगदान देगा भारत: अमिताभ कांत

by Business Remedies
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India will contribute 20 percent to world economic growth in the next decade: Amitabh Kant

बिजनेस रेमेडीज/नई दिल्ली। G-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा है कि अगले दशक में दुनिया की कुल वृद्धि में 20 प्रतिशत योगदान भारत का होगा। इसका प्रमुख कारण यह है कि देश वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। कांत ने आइमा के सम्मेलन में कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा, ‘‘अगले तीन साल में, हम जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। एक ऐसी दुनिया में जो वृद्धि के लिए आकांक्षी है…दूसरी तरफ भारत वृद्धि को गति देने वाली एक बहुत ही मजबूत शक्ति के रूप में उभरा है।’’ कांत ने कहा कि अगले दशक में दुनिया की कुल वृद्धि में 20 प्रतिशत का योगदान भारत का होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आज हम जो देख रहे हैं वह हमारी आर्थिक स्थिति में पीढय़िों में एक बार होने वाला बदलाव है। कुछ साल पहले, हम पांच कमजोर देशों में शामिल थे और एक दशक में हम शीर्ष पांच में आ गए।’’ जी-20 शेरपा ने कहा कि देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन को बदलने, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने और पोषण मानकों को बढ़ाने की जरूरत है। कांत ने कहा कि भारत को भविष्य में वृद्धि के लिए कई ‘चैंपियन’ राज्यों की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि भारत को अगले तीन दशकों में नौ से 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल करनी है और 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना है, तो हमें अपने सीखने के परिणामों (कौशल), अपने स्वास्थ्य क्षेत्रों और पोषण मानकों में बड़े पैमाने पर सुधार करने की आवश्यकता है।’’ कांत के अनुसार, इसका मतलब है कि बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों को बदलने की जरूरत है। इन राज्यों में देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी रहती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम उन्हें बदलें। यह जरूरी है कि वे मानव विकास सूचकांक में सुधार के मुख्य सूत्रधार बनें।’’ कांत ने कहा कि भारत की शीर्ष 50 प्रतिशत आबादी वास्तव में वृद्धि सृजित करती है और समृद्धि लाती है।

वहीं मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में रहने वाली नीचे की 50 प्रतिशत आबादी बुनियादी जीवनस्तर हासिल करने के लिए कृषि श्रम या सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि हम इन लोगों के जीवन में बदलाव लाएं।’’



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