नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि माल एवं सेवा कर के तहत सिर्फ दो स्लैब होने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जीएसटी की दरों में बार-बार बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।
जरूरत होने पर जीएसटी की दरों में वार्षिक आधार पर बदलाव किया जाना चाहिए। जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया। सभी अप्रत्यक्ष कर इसमें समाहित हो गए। उस समय से जीएसटी की दरों में कई बार बदलाव किया जा चुका है। अभी जीएसटी के तहत चार स्लैब- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं।
कई उत्पाद ऐसे हैं जिनपर जीएसटी नहीं लगता। वहीं पांचे ऐसे उत्पाद हैं जिनपर जीएसटी के अलावा उपकर भी लगता है। रमेश चंद ने कहा कि जब भी कोई बड़ा कराधान सुधार लाया जाता है, तो शुरुआत में उसमें समस्या आती है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर देशों में जीएसटी को स्थिर होने में समय लगा। नीति आयोग के सदस्य चंद कृषि क्षेत्र को देखते हैं। उन्होंने जीएसटी की दरों में बार-बार बदलाव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे समस्याएं पैदा होती हैं।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा….
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