बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। राजस्थान का टैक्सटाइल उद्योग देश के प्रमुख कपड़ा उद्योगों में से एक है। यह उद्योग खासकर भीलवाड़ा, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, अजमेर और जयपुर जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है। यह उद्योग रोजगार, निर्यात और स्थानीय अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार है, लेकिन इसके सामने कई गंभीर समस्याएं भी हैं। टैक्सटाइल मार्केट में बीते पांच वर्षों से मंदी का दौर है। वर्तमान में सरकार को कपड़़ा इंडस्ट्री पर ध्यान देना चाहिए, जिससे व्यापार को फिर से पंख लग सकें।
जानकारी के अनुसार, राजस्थान से कपड़ा दुनिया के कई देशों में निर्यात होता है। इनमें संयुक्त राज्य अमेरीका, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन और नीदरलैंड। इन देशों में राजस्थान से ब्लॉक प्रिंट, होम फर्निशिंग और फैशनेबल कपड़ों की अच्छी मांग है। इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में हैंडलूम व हैंडीक्राफ्ट की अच्छी डिमांड है। साथ ही संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर और ओमान। इन देशों में सूती वस्त्र व सिंथेटिक फैब्रिक की अधिक मांग रहती है। सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड व इंडोनेशिया में हल्के फैब्रिक व रेडीमेंड गारमेंट्स की अधिक मांग रहती है। वहीं ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में ऊनी व डेकोरेटिव टैक्सटाइल की अधिक मांग रहती है। दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, केन्या में सस्ते व प्रिंटेड रंगीन फैब्रिक की मांग रहती है। इन देशों के अलावा लैटिन अमेरीकी देशों में ब्राजील, चिली व मैक्सिको में राजस्थान से सूती व सिंथेटिक कपड़ों की ज्यादा मांग रहती है।
बीते पांच सालों में माहौल नरम
भीलवाड़ा के उद्यमियों ने बताया, बीते पांच वर्षों में कपड़ा व्यापार में गिरावट का दौर है। इंडस्ट्री चल नहीं रही है। इससे व्यापार में मंदी है। ट्रंप टैरिफ का भी निर्यात पर असर पड़ा है। वर्तमान में न के बराबर कपड़ा निर्यात हो रहा है। इसका फायदा चीन उठा सकता है। अमेरीकी टैरिफ वार से निपटने के लिए सरकार को जल्द से जल्द उपाय खोजने होंगे। अन्यथा व्यापार पर काफी असर आने की संभावना है।
राजस्थान सरकार दे कपड़ा इंडस्ट्री पर ध्यान
राजस्थान सरकार की नीतियों का भी असर व्यापार पर पड़ रहा है। वहीं मध्य प्रदेश इस मामले में राजस्थान से आगे जा रहा है। मध्य प्रदेश में इंडस्ट्री प्रोत्साहन के लिए कई योजनाएं चला रखी है। इसी प्रकार राजस्थान सरकार को भी कपड़ा इंडस्ट्री के प्रोत्साहन के लिए कार्य करना चाहिए, जिससे व्यापार में इजाफा हो सके। सरकार को बिजली की रेटों पर ध्यान देना चाहिए, साथ ही लेबर के लिए भी नियम बनाने चाहिए, जिससे इंडस्ट्री को कुशल श्रम मिल सके।
— जीएसटी कटौती का टैक्सटाइल मार्केट पर ज्यादा असर नहीं है, क्योंकि जीएसटी रिएम्बर्ष होती थी। बस केवल नियमों का सरलीकरण हो जाएगा, जो हमें लेना पड़ता था, अब केवल जमा कराना पड़ेगा। अमेरीकी टैरिफ का असर उन लोगों पर है, जो लोग एक्सपोर्ट से जुड़े हुए हैं। वर्तमान में व्यापार को ब्ढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने रिप्स की योजना चला रखी है, जो नई इंडस्ट्रीज को मिलती है। बीते पांच सालों में व्यापार के लिए माहौल ठंडा है। पूरे भारत में ही व्यापार में गिरावट आई है।
— शरद अग्रवाल, ऑनर, बाबा स्पीनर्स लिमिटेड, भीलवाड़ा
– जीएसटी दर में बदलाव से लोगों के पास तरलता बढ़ गई। पहले दो तीन महीने का जो पेमेंट साइकल होता था, उससे अब मुक्ति मिली है। इससे लोगों की परचेज पॉवर बढ़ी है। यह बदलाव काफी अच्छा है। भीलवाड़ा में ट्रंप टैरिफ का ज्यादा असर नहीं है, क्योंकि यहां से अमेरीका कपड़ा कम ही निर्यात किया जाता है। अमेरीकी टैरिफ की वजह से पानीपत, लुधियाता और सूरत ज्यादा प्रभावित हैं। राजस्थान सरकार की नीतियों की वजह से भीलवाड़ा से इंडस्ट्री पलायन कर रही है। कई उद्यमी सूरत व मध्य प्रदेश में शिफ्ट हो चुके हैं। वैसे भी व्यापार में बढ़ोतरी न हो तो यह माना जाता है कि इंडस्ट्री मंदी की ओर जा रही है। 2022 तक इंडस्ट्री ठीक थी, लेकिन बीते ढाई साल से मंदी का दौर है।
– संदीप बगड़ोदिया, पार्टनर, मंगलम यार्न, भीलवाड़ा
– जीएसटी का कपड़ा इंडस्ट्री पर तो नहीं, लेकिन गारमेंट इंडस्ट्री पर अच्छा प्रभाव है। गारमेंट में पहले 18 प्रतिशत जीएसटी था, अब पांच प्रतिशत है। कपड़ा इंडस्ट्री के लिए भी अच्छा है। पहले 7 प्रतिशत जीएसटी रिफंड लेना पड़ता था, अब वह नहीं लेना पड़ेगा। अमेरीकी टैरिफ का डायरेक्ट और इनडायरेक्टर तो इंडस्ट्री पर असर पड़ रहा है। इससे व्यापार में मंदी का माहौल आ सकता है। राजस्थान सरकार की इंडस्ट्री प्रोत्साहन के लिए कोई योजना नहीं है, जो हैं वे भी बहुत कमजोर योजनाएं हैं। इस कारण राजस्थान से इंडस्ट्री मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जा रही हैं। बीते पांच वर्षों में दूसरे राज्यों ने काफी अच्छा किया है। इस कारण राजस्थान की इंडस्ट्री वहां शिफ्ट हो रही हैं।
– महेश मोरारका, ऑनर, मोरारका शूटिंग प्राइवेट लिमिटेड, भीलवाड़ा
