Business Remedies/नई दिल्ली (आईएएनएस)। भारत के राजमार्ग नेटवर्क ने पिछले 11 वर्षों में तेज गति से विस्तार करते हुए दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सडक़ नेटवर्क बनने का स्थान हासिल कर लिया है। मंगलवार को यह घोषणा की गई कि देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई अब 1,46,560 किलोमीटर तक पहुंच गई है।
सरकार ने भारतमाला परियोजना (जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम शामिल है), उत्तर-पूर्व क्षेत्र सडक़ विकास कार्यक्रम, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों की सडक़ विकास योजना (जिसमें विजयवाड़ा-रांची सडक़ शामिल है) और बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को मजबूत किया है। सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में लगभग 61 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और यह 2014 में 91,287 किलोमीटर से बढक़र 2025 में 1,46,560 किलोमीटर हो गया है।
परिचालन में मौजूद एक्सेस-नियंत्रित उच्च गति कॉरिडोर और एक्सप्रेसवे की लंबाई 2014 में मात्र 93 किलोमीटर थी, जो इस वर्ष के अंत तक बढक़र 3,052 किलोमीटर हो गई है। चार लेन और उससे अधिक वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई, जिसमें एक्सेस-नियंत्रित कॉरिडोर भी शामिल हैं, 2014 में 18,371 किलोमीटर से बढक़र वर्तमान में 43,512 किलोमीटर से अधिक हो गई है। मंत्रालय ने नवंबर 2025 तक परिसंपत्ति मुद्रीकरण के विभिन्न माध्यमों से कुल 1,52,028 करोड़ रुपये जुटाए हैं और वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 30,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है। निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए मॉडल रियायत समझौतों को अद्यतन किया गया है। निर्माण-संचालन-हस्तांतरण प्रणाली को 2007-08 के बाद पहली बार पुनर्गठित किया गया है।
निवेश आधार को व्यापक करने के लिए मंत्रालय सार्वजनिक इनविट – राजमार्ग इनविट शुरू करने की योजना बना रहा है, जिसके लिए SEBI की मंजूरी की प्रक्रिया जारी है और इसके निर्गम की तिथि जनवरी 2026 निर्धारित की गई है। केंद्रीय बजट 2025-26 के अनुरूप, मंत्रालय ने अगले तीन वर्षों में विकसित किए जाने वाले 13,400 किलोमीटर के सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजना पाइपलाइन की पहचान की है, जिसकी अनुमानित लागत 8.3 लाख करोड़ रुपये है।
भारत माला परियोजना के तहत 35 बहु-माध्यम लॉजिस्टिक्स पार्कों की योजना बनाई गई है, जिनमें लगभग 46,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और संचालन शुरू होने पर ये लगभग 700 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो संभालने में सक्षम होंगे। उपयोगकर्ताओं की सुविधा और आराम बढ़ाने के लिए मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्गों पर 40 से 60 किलोमीटर के अंतराल पर अत्याधुनिक वे-साइड सुविधाएं सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में विकसित करने की योजना बना रहा है।
इसके अलावा, पर्वतमाला परियोजना के तहत पहाड़ी क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाने, शहरी भीड़ कम करने और अंतिम छोर लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने के लिए सुरक्षित, किफायती, कुशल और विश्वस्तरीय रोपवे अवसंरचना के विकास की परिकल्पना की गई है। 2025 की अन्य प्रमुख उपलब्धियों के तहत प्रधानमंत्री ने जम्मू और कश्मीर में 12 किलोमीटर लंबी सोनमर्ग सुरंग का उद्घाटन किया, जिसका निर्माण 2,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया गया है।
इसके साथ ही कटरा में रफियाबाद-कुपवाड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण परियोजना सहित कई सडक़ परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया, जिनकी लागत 1,952 करोड़ रुपये से अधिक है। दिल्ली में द्वारका एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार मार्ग-दो जैसी प्रमुख शहरी भीड़ कम करने वाली परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया गया। स्वच्छ ऊर्जा पहल के तहत केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने नई दिल्ली में Tata Motors द्वारा शुरू किए गए हाइड्रोजन से चलने वाले भारी वाहनों के पहले परीक्षण को हरी झंडी दिखाई। सडक़ दुर्घटना पीड़ितों के लिए नकद रहित उपचार योजना 2025 को देशभर में अधिसूचित किया गया है, जिसके तहत नामित अस्पतालों में प्रति पीड़ित 1.5 लाख रुपये तक का उपचार कवर प्रदान किया जाएगा।
मंत्रालय ने उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट को अनिवार्य कर और नए वाहनों में उन्नत चालक सहायता प्रणालियों से संबंधित प्रावधानों को आगे बढ़ाकर वाहन सुरक्षा मानकों को मजबूत किया है। मंत्रालय ने 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 123 पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाएं और 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 160 स्वचालित परीक्षण केंद्र संचालित किए हैं। नवंबर 2025 तक कुल 3.58 लाख वाहनों को स्क्रैप किया गया है। राह-वीर योजना के तहत अच्छे नागरिकों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन को प्रति घटना 5,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया गया है और हर वर्ष 10 राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार 1 लाख रुपये प्रत्येक के लिए शुरू किए गए हैं।
भूमिराशि पोर्टल की स्थापना राजमार्ग भूमि अधिग्रहण की संपूर्ण डिजिटल प्रक्रिया और प्रत्यक्ष मुआवजा भुगतान को सक्षम बनाने के लिए की गई है, जिससे दक्षता और पारदर्शिता मजबूत हुई है। मंत्रालय ने गैर-वाणिज्यिक वाहनों के लिए FASTag आधारित वार्षिक पास भी शुरू किया है, जिसकी कीमत 3,000 रुपये है और इसमें 200 टोल प्लाजा पार करने की सुविधा है। नवंबर 2025 तक 36.13 लाख पास बेचे जा चुके हैं, जिससे 1,084 करोड़ रुपये का उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह हुआ है। इसके अलावा, सरकार ने चयनित राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों पर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान कैमरों के माध्यम से बाधारहित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे FASTag के साथ निर्बाध टोलिंग संभव होगी।

