भारत चिप मैन्युफैक्चरिंग में निरंतर आगे बढ़ रहा है। सरकार के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया जैसे कार्यक्रमों का तेजी से विकास हो रहा है, जिसमें कई पायलट प्लांट शुरू हो चुके हैं और कुछ में साल के अंत तक चिप्स का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। इससे भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 100-110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा, जिसमें आयात निर्भरता कम होगी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, आयात में कमी आएगी और लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे। भारत में चिप निर्माण के लिए कई पायलट प्लांट स्थापित किए गए हैं और कुछ में काम शुरू हो गया है, जैसे सीजी पावर कंपनी के पायलट प्लांट में। साल के अंत तक भारत में पहली मेड इन इंडिया चिप का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। सरकार ने 76,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है और कई सेमीकंडक्टर परियोजनाओं में भारी निवेश हो रहा है। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया जैसे सरकारी मिशन इस क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख केंद्र बनने के लिए काम कर रहे हैं। यह घरेलू चिप उत्पादन से भारत की विदेशी चिप्स पर निर्भरता को काफी कम करेगा, जिससे आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी। भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बनने में मदद मिलेगी, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े तकनीकी बदलावों में से एक का केंद्र बन सकेगा। यह इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों को बढ़ावा देगा, क्योंकि वे चिप्स पर बहुत अधिक निर्भर हैं। भारत ना केवल एक उपभोक्ता रहेगा, बल्कि चिप्स का निर्यात भी करेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।
