Wednesday, December 24, 2025 |
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भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात अप्रैल-नवम्बर अवधि में 38 प्रतिशत बढक़र 31 अरब डॉलर रहा

by Business Remedies
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Business Remedies / New Delhi (IANS)। भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-नवम्बर अवधि में सालाना आधार पर 38 प्रतिशत बढक़र 31 अरब डॉलर हो गया है। यह जानकारी सरकार की ओर से दी गई। इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात बढऩे की वजह प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम का होना है, जिसने Apple जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियों को भारत में अपनी आपूर्ति श्रृंखलाएं स्थानांतरित करने के लिए आकर्षित किया है।

चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में आईफोन का निर्यात करीब 14 अरब डॉलर रहा है, जो कि कुल इलेक्ट्रॉनिक्स की निर्यात वैल्यू का करीब 45 प्रतिशत से अधिक है। पिछले महीने Apple की एक्सचेंज फाइलिंग में खुलासा हुआ था कि उसकी भारतीय इकाई की घरेलू बिक्री वित्त वर्ष 25 में 9 अरब डॉलर पर पहुंच गई है और वित्त वर्ष 25 में बने कुल आईफोन में से हर पांचवां आईफोन भारत में मैन्युफैक्चर और एसेंबल हुआ है। Apple की ग्लोबल प्रोडक्शन वैल्यू में भारत की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत हो गई है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 2014-15 में लगभग 1.9 लाख करोड़ रुपए से बढक़र 2024-25 में लगभग 11.3 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसी अवधि में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात भी 38,000 करोड़ रुपए से बढक़र 3.27 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। 2014-15 में भारत में केवल दो मोबाइल फोन निर्माण इकाइयां थीं, जिनकी संख्या अब बढक़र लगभग 300 हो गई है। मोबाइल फोन उत्पादन 18,000 करोड़ रुपए से बढक़र 5.45 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जबकि निर्यात 1,500 करोड़ रुपए से बढक़र लगभग 2 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी 2.0) देश के 10 राज्यों में स्थित हैं।

इन परियोजनाओं में 1,46,846 करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान है और इनसे लगभग 1.80 लाख रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री Jitin Prasada ने लोकसभा में बताया कि अब तक 11 ईएमसी परियोजनाओं और 2 कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। ये सभी परियोजनाएं 4,399.68 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई हैं, जिनकी कुल परियोजना लागत 5,226.49 करोड़ रुपए है। इसमें से 2,492.74 करोड़ रुपए केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता के रूप में शामिल है।



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