नए अमेरिकी H-1B Visa Fee ($100,000) का भारत की बड़ी और मध्यम आकार की IT कंपनियों के margins पर कोई बड़ा असर पड़ने की संभावना नहीं है। यह बात सोमवार को जारी Equirus Fund Management Report में कही गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए H-1B applicants के लिए $100,000 one-time fee तय की है। Renewal और अन्य प्रक्रिया पहले जैसी ही रहेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियाँ इस बढ़े हुए खर्च को local hiring, subcontracting और offshoring के ज़रिए balance कर सकती हैं।
Impact on Margins:
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अगर शुल्क केवल नए H-1B वीज़ा पर लागू होता है, तो large-cap IT companies के margins पर केवल 7–14 basis points (bps) का असर पड़ेगा।
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अगर नए और existing holders (outside US) दोनों पर लागू हुआ, तो असर 26–49 bps तक हो सकता है।
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Mid-cap IT firms पर असर थोड़ा ज्यादा होगा: नए applicants के लिए 21–39 bps, और existing + नए holders पर 60–109 bps तक।
Why Impact is Limited?
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पिछले 6–8 वर्षों में Indian IT vendors (Infosys, Wipro, Cognizant, TCS) ने on-site H-1B dependency कम की है।
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$100,000 fee कई मामलों में H-1B holders के annual salary से भी ज्यादा है।
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इसलिए firms अब local hires, green card holders और subcontractors पर ज्यादा फोकस कर रही हैं।
हालाँकि, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि FY26 H2 में sales growth थोड़ी धीमी हो सकती है क्योंकि clients approvals और transition planning में समय लगेगा।
वर्तमान में लगभग 71% H-1B visa holders भारतीय हैं और वे अधिकतर Infosys, Wipro, Cognizant और TCS जैसी बड़ी टेक कंपनियों में कार्यरत हैं।
