Saturday, October 25, 2025 |
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प्रदेश में दाल प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी, लाभ उठा रहे दूसरे राज्य

by Business Remedies
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  • मूंग-मोठ दाल उत्पादन में राजस्थान सबसे आगे
  • नागौर, सीकर, जयपुर में 35 लाख टन मूंग-मोठ, 80 प्रतिशत निर्यात
  • स्थानीय प्रोसेसिंग से 4,000 करोड़ की संभावना

बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। राजस्थान में देश की कुल मूंग उत्पादन का 30-35 प्रतिशत (10.5 लाख टन, 2024) अकेले होता है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और इंडियास्टेट 2024 के अनुसार, राज्य में 25 लाख हेक्टेयर भूमि पर मूंग-मोठ की खेती होती है, जिसमें नागौर, सीकर, जयपुर और चूरू अग्रणी हैं। मूंग-मोठ से दाल, खाकरा, पापड़, बड़ी, दालमोठ और प्रोटीन सप्लीमेंट बनते हैं।

2024 में राजस्थान ने 35 लाख टन मूंग-मोठ (मूंग 10.5 लाख टन, मोठ 24.5 लाख टन) का उत्पादन किया, जिसका मूल्य 21,000 करोड़ रुपए था। हालांकि, प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी से 80 प्रतिशत कच्चा माल गुजरात (उंझा मंडी), दिल्ली (खारी बावली), महाराष्ट्र व अन्य राज्यों और विदेश चला जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर स्थानीय प्रोसेसिंग हो तो हर साल 4,000 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व और 20,000 रोजगार संभव हैं।

उत्पादन, खपत और निर्यात
नागौर (8 लाख टन), सीकर (7 लाख टन), जयपुर (6 लाख टन), और चूरू (5 लाख टन) 2024 में शीर्ष उत्पादक थे। बाड़मेर और जोधपुर ने 4 लाख टन का योगदान दिया। स्थानीय खपत (20 प्रतिशत, 7 लाख टन) जयपुर, जोधपुर और उदयपुर के बाजारों में होती है। 80 प्रतिशत (28 लाख टन) निर्यात में गुजरात (40 प्रतिशत), दिल्ली (20 प्रतिशत), महाराष्ट्र (15 प्रतिशत) और विदेश (श्रीलंका, बांग्लादेश, यूएसए, यूएई, 25 प्रतिशत) शामिल हैं।

प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थिति
राजस्थान में वर्तमान में केवल 250 छोटी-बड़ी यूनिट्स हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत जयपुर, जोधपुर और बीकानेर में हैं। इनकी कुल प्रोसेसिंग क्षमता 2 लाख टन प्रतिवर्ष है, जो राज्य के उत्पादन का मात्र 13 प्रतिशत है। शेष 87 प्रतिशत कच्चे माल में से गुजरात (40 प्रतिशत), महाराष्ट्र (30 प्रतिशत), दिल्ली (15 प्रतिशत) और अन्य राज्यों (15 प्रतिशत) में जाता है।

सरकारी प्रयास और रोजगार
राइजिंग राजस्थान 2024 में 300 करोड़ रुपए की सब्सिडी और जयपुर, नागौर में 3 फूड प्रोसेसिंग पार्क प्रस्तावित हैं। मूंग-मोठ उद्योग से राजस्थान में 50,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 1.5 लाख को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। नागौर की मूंग मंडी और जोधपुर के मंडोर बाजार में 10,000 से अधिक मजदूर और व्यापारी कार्यरत हैं।

– प्रदेश में चार लाख टन मोठ की पैदावार होती है और देश में मोठ उत्पादन में राजस्थान नंबर वन है। वहीं मूंग की बात करें तो प्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है। मूंग की पैदावार प्रदेश में लगातार बढ़ रही है। मोठ का सबसे ज्यादा उपयोग बीकानेर में होता है, जहां इससे बड़ी, पापड़, सेव आदि चीजें बनाई जाती हैं। प्रदेश में बिजली महंगी होने के कारण प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी है। दूसरा मंडी टैक्स भी ज्यादा है। इससे भी फर्क आता है। तीसरे प्रदेश में कुशल मजदूरों की कमी है। प्रदेश में मूंग-मोठ की पैदावार बढ़ी है, लेकिन सरकार का ध्यान नहीं होने के कारण प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी है।
– बाबूलाल गुप्ता, चेयरमैन, राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ

– प्रदेश में काफी प्रोसेसिंग यूनिट्स लगी हुई हैं, लेकिन वे अपनी उत्पादन क्षमता का पूरा कार्य नहीं कर पा रही हैं। मोठ के उत्पादन में राजस्थान पूरे देश में नंबर-1 है। हम तेजी से मूंग में भी अव्वल बनने की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार को प्रदेश में प्रोसेसिंग यूनिट्स बढ़ाने के लिए रियायत देनी चाहिए, सुविधाएं देनी चाहिए। इसके सरकार को लघु उद्योगों के लिए अपनी पॉलिसी में थोड़ा लचीलापन लाना चाहिए। राज्य सरकार को चाहिए कि जो पड़ोसी राज्यों में टैक्स है उनके अनुसार ही राज्य की टैक्स की दरों में भी लचीलापन रुख रखे या कम रखे, जिससे राज्य की फसल का दोहन राज्य में ही हो सके। टैक्स के दरों की विसंगतिया दूर करने से सरकार की अतिरिक्त आय के साथ-साथ, रोजगार के नए अवसर भी सृजन हो सकेंगे।
– पवन अग्रवाल, सीनियर वाइस प्रसिडेंट, जयपुर दाल, मिल्स एसोसिएशन व श्री श्याम पल्स प्रा.लिमिटेड



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