- वर्ष 2024 में 15 प्रतिशत निर्यात में हुई बढ़ोतरी
- डिजिटल पोर्टल्स से छोटे व्यवसायों को बढ़ावा
- जयपुर शहर में 500 से अधिक निर्यातक इकाइयां
बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। रत्न-आभूषण निर्यात में राजस्थान ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। अकेले राजस्थान से ही दुनियाभर में 30 प्रतिशत रत्न-आभूषण निर्यात किए जा रहे हैं। जीजेईपीसी और आईबीईएफ के अनुसार, भारत का रत्न आभूषण निर्यात वर्ष 2024 में 32.71 बिलियन डॉलर रहा। इसमें राजस्थान की हिस्सेदारी 81,775 करोड़ रुपए (लगभग 9.6 बिलियन डॉलर) थी। वैश्विक बाजार में भारत की 4.3 प्रतिशत हिस्सेदारी में राजस्थान एक तिहाई योगदान देता है। विशेष रूप से रंगीन रत्नों, चांदी के आभूषणों और कट-पॉलिश्ड हीरों में। राजधानी जयपुर, जोधपुर और उदयपुर जैसे शहर इस क्षेत्र के प्रमुख केंद्र हैं, जहां से 2024 में निर्यात 15 प्रतिशत बढ़ा। जयपुर अकेले 300 से अधिक प्रकार के रत्नों का प्रसंस्करण करता है और यहां 112 कारखाने संचालित हैं। हालांकि वर्तमान में ट्रंप टैरिफ की वजह से निर्यात प्रभावित हुआ और न के बराबर निर्यात हो रहा है। भारत निर्यात के लिए नए डेस्टिनेशनल तलाश रहा है।
अमरीका, यूएई व हॉन्गकॉन्ग तक निर्यात
जयपुर रत्न-आभूषण निर्यात का केंद्र है, जहां से वर्ष 2024 में 11,183 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ, जो राज्य के कुल निर्यात का 13.4 प्रतिशत है। जयपुर के जौहरी बाजार और चांदपोल बाजार में 500 से अधिक निर्यातक इकाइयां सक्रिय हैं। जोधपुर में चांदी के आभूषण और हस्तशिल्प निर्यात में 20 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, जिसने 2,000 करोड़ का योगदान दिया। उदयपुर और सीकर रंगीन रत्नों (पन्ना, नीलम) के लिए प्रसिद्ध हैं, जिनका निर्यात 1,500 करोड़ रहा। प्रमुख निर्यात गंतव्य अमरीका (30.29 प्रतिशत, 9.9 बिलियन डॉलर), यूएई (24.57 प्रतिशत, 8.03 बिलियन डॉलर) और हॉन्गकॉन्ग (20.57 प्रतिशत, 6.72 बिलियन डॉलर) हैं। डिजिटल ट्रेड पोर्टल्स और ऐप्स ने छोटे व्यवसायों को वैश्विक खरीदारों से जोड़ा, जिससे निर्यात प्रक्रिया 25 प्रतिशत तेज हुई।
छोटे व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा
मर्चेंडाइज एक्सपोट्र्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) ने 3-7 प्रतिशत निर्यात प्रोत्साहन प्रदान कर छोटे और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा दिया। वर्ष 2024 में एमईआईएस के तहत 500 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई, जिसने जयपुर के 1,000 से अधिक छोटे निर्यातकों को लाभ पहुंचाया। सरकार ने 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति और सेज में 15 इकाइयों की स्थापना से निर्यात को प्रोत्साहित किया। जीजेईपीसी ने डीएचएल के साथ समझौत और सऊदी अरब में 2025 प्रदर्शनी की योजना बनाई, जिससे निर्यात में 10 प्रतिशत और वृद्धि की उम्मीद है।
इस क्षेत्र में नए रोजगार सृजन
2024 में राजस्थान में रत्न-आभूषण क्षेत्र ने 4.3 लाख रोजगार सृजित किए, जिनमें 30 प्रतिशत महिलाएं थीं। जयपुर में प्रस्तावित ‘जेम बोर्स’ से 1 लाख नए रोजगार की उम्मीद है। जयपुर के वैशाली नगर और सी-स्कीम में हस्तशिल्प बिक्री 18 प्रतिशत बढ़ी। हालांकि, अमरीकी टैरिफ (27 प्रतिशत) और कच्चे माल की कमी चुनौतियां हैं।
प्रदेश के प्रमुख निर्यात शहर
जयपुर : वर्ष 2024 में 11,183 करोड़ रुपए का निर्यात, जिसमें जौहरी और चांदपोल बाजार में 500 से ज्यादा इकाइया। रंगीन रत्न (पन्ना, नीलम) और कट-पॉलिश्ड हीरे प्रमुख।
जोधपुर : 2,000 करोड़ रुपए का निर्यात, चांदी के आभूषण और हस्तशिल्प में 20 प्रतिशत वृद्धि।
उदयपुर : 1,500 करोड़ रुपए का निर्यात, रंगीन रत्नों और मीनाकारी आभूषणों के लिए प्रसिद्ध।
सीकर : शेखावाटी क्षेत्र में 800 करोड़ रुपए, हवेली-प्रेरित डिजाइनों का केंद्र।
जयपुर आज वैश्विक रत्न-आभूषण उद्योग की धडक़न है। हर साल यहां से लगभग 11,000 करोड़ से अधिक का निर्यात और 300 से ज्यादा रत्नों की प्रोसेसिंग होती है। 500 से अधिक निर्यातक इकाइयां जयपुर को सच्चे अर्थों में जेम सिटी ऑफ इंडिया बनाती हैं। अमरीकी बाजार में ट्रंप टैरिफ नीतियों ने निर्यातकों के लिए चुनौतियां खड़ी कीं, लेकिन जयपुर ने हर बाधा को अवसर में बदला है। डिजिटल पोर्टल्स, नए बाजारों की खोज और हमारे व्यापारियों के प्रयासों से हम जल्द ही इस समस्या से उबर जाएंगे। हमें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में जयपुर की चमक और बढ़ेगी और यह दुनिया के नक्शे पर नई ऊंचाईयां छुएगा।
– नीरज लुणावत, सचिव, ज्वैलर्स एसोसिएशन जयपुर
– जयपुर, राजस्थान में रत्न और आभूषण का सबसे बड़ा कारोबार है। पूरे भारत की मैन्यूफेक्चरिंग जयपुर में ही होती है। इसके अलावा पूरे विश्व में यहां से माल जाता है। इंटरनेशनल मार्केट में मांग बढऩे के कारण राजस्थान की ज्वैलरी की काफी खपत होने लग गई है। इससे व्यापार में काफी इजाफा हुआ है।
– कैलाश मित्तल, अध्यक्ष जयपुर सर्राफा कमेटी
– अभी तक जेम-ज्वैलरी यूएस जा रही थी, लेकिन ट्रंप टैरिफ की वजह से अभी मामला गड़बड़ाया हुआ है। हम लोग नए बाजार तलाश रहे हैं। दुबई में काफी अच्छा स्कोप है। राजस्थान की ज्वैलरी की डिजाइन व रत्नों की काफी विशेषता है। इस वजह से पूरी दुनिया में पसंद की जाती है। यूके भी नए बाजार के रूप में उभर रहा है। भारत ने हाल ही में यूके के साथ ट्रेड एग्रीमेंट भी किया है। इससे एक्सपोटर्स को काफी फायदा मिलेगा। इसके अलावा यूरोप में भी बाजार तलाश रहे हैं।
– भूपेंद्र सिंह, अध्यक्ष, फियो राजस्थान
