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राज्यसभा चुनावों का शंखनाद

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भाजपा और कांग्रेस अपने प्रत्याशियों को उतारने की रणनीति में जुटे

बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। राजस्थान में जून माह में होने वाले राज्यसभा चुनावों के लिए बिगुल बज चुका है। चुनावों के लिए नामांकन की प्रक्रिया आज से प्रारंभ होकर 31 मई तक चलेगी। राजस्थान में राज्यसभा की जो चार सीट खाली हो रही है, वह अभी भाजपा के खाते में है। पर इस बार भाजपा केवल एक ही सीट जीत पाएगी, तीन सीट कांग्रेस की झोली में जाना तय है।
कांग्रेस सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय महामंत्री प्रिंयका गांधी को राज्यसभा में भेजा जा सकता है, वहीं भाजपा की एक सीट के लिए भी जोड़-तोड़ का खेल शुरू हो गया है। पार्टी इस बार किसी कार्यकर्ता को संसद में भेज सकती है। वहीं जैन राजनीतिक चेतना मंच ने भी भाजपा हाईकमान से मांग की है कि इस बार किसी जैन कार्यकर्ता को राज्यसभा का टिकट दिया जाए। राजस्थान में लोकसभा की 25 व राज्यसभा की दस सीटों को मिलाकर 35 सांसदों में से एक भी जैन समाज से जुड़ा हुआ नहीं है।
राजस्थान में चार सीट के लिए होने वाले चुनावों में अभी चारों सीट भाजपा के पास थी, लेकिन संख्या बल को देखते हुए इस बार भाजपा की केवल एक सीट ही आती दिख रही है। इन चुनावों के बाद कांग्रेस में डॉ.मनमोहन सिंह, केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी के साथ तीन और नए सांसद जुड़ जाएंगे यानी कुल 10 में से 6 सदस्य कांग्रेस व 4 सदस्य भाजपा के होने की संभावनाएं स्पष्ट दिख रही है। इसमें किसी बदलाव की गुंजाइश फिलहाल नजर नहीं आ रही है। देशभर में कुल 57 सीट के लिए राज्यसभा के चुनाव होने जा रहे है, लेकिन राजस्थान में अगले वर्ष होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इन चुनावों में उम्मीदवार का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण कवायद लगती है। लगता है इस बार दोनों पार्टियां जातिगत व क्षेत्रीय समीकरण साधने के साथ योग्यता व उम्मीदवार की पार्टी के प्रति समर्पण की रणनीति के तहत उम्मीदवारों की चौंकाने वाली घोषणा कर सकती है। भाजपा ने पूर्व में हुए राज्यसभा चुनावों में राजपूत, कायस्थ, माली, जाट, ब्राह्मण, यादव व मीणा समाज को अवसर दिया था। 35सीटों में जैन समाज का भाजपा से कोई प्रतिनिधत्व नहीं है,जबकि राजस्थांन में भाजपा के वोट बैंक में जैन समाज का अत्यधिक योगदान रहा है।

भाजपा मेवाड़ क्षेत्र से दे सकती है प्रतिनिधित्व
समय की कमी को देखते हुए भाजपा की बुधवार को हुई कोर कमेटी बैठक में भाजपा की होने वाली राष्ट्रीय स्तर के बैठक की तैयारियों के साथ राज्यसभा उम्मीदवारी को लेकर प्रारंभिक चर्चा की होगी, लेकिन अब देखना है की भाजपा एक सीट के लिए किसको अवसर देती है। इसी प्रकार क्षेत्रवाद की बात करें तो राज्यसभा में भाजपा ने अब तक जोधपुर संभाग को सर्वाधिक महत्व दिया है। उदयपुर में हाल ही संपन्न कांग्रेस के चिंतन शिविर के मद्देनजर भाजपा मेवाड़ को मजबूत रखना चाहेगी एवं इसके लिए प्रबल संभावना है कि भाजपा मेवाड़ क्षेत्र से ही उम्मीदवार का चयन करे। जातिगत व क्षेत्रीय आधार के साथ केंद्र में मोदी सरकार की योग्य व्यक्ति को कार्य देने की नीति के तहत डॉ. भूपेंद्र यादव व केके अलफांस की तरह योग्य कार्यकर्ता को प्राथमिकता भी दी जा सकती है ताकि राज्यसभा में राजस्थान का प्रभावी प्रतिनिधित्व मिल सके।
इस बार के चुनाव में लगता है की भाजपा एक तीर, तीन शिकार वाली कहावत को चरितार्थ करेगी यानि जातिगत व क्षेत्रीय समीकरण के साथ योग्यता, संघ पृष्ठभूमि व विचार के प्रति समर्पण को ज्यादा महत्व देगी ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा इसका अधिकाधिक लाभ ले सके तथा संघ को भी खुश रख सके। कांग्रेस की अकादमिक प्रतिभाओं को राज्यसभा में ज्यादा महत्व देने की रणनीति के तहत भाजपा भी इस फार्मूले का प्रयोग कर सकती है। कांग्रेस की रणनीति में तो केंद्रीय नेताओं को जगह मिलनी संभावित लगती है, लेकिन भाजपा समर्पित कार्यकर्ता को महत्व देती है या नहीं यह भविष्य की गर्त में ही है। इसका खुलासा नामांकन की अन्तिम तिथि तक ही हो पाएगा।

एक तीर, तीन शिकार वाली कहावत को चरितार्थ करेगी भाजपा
समय की कमी को देखते हुए भाजपा की बुधवार को हुई कोर कमेटी बैठक में भाजपा की होने वाली राष्ट्रीय स्तर के बैठक की तैयारियों के साथ राज्यसभा उम्मीदवारी को लेकर प्रारंभिक चर्चा की होगी, लेकिन अब देखना है की भाजपा एक सीट के लिए किसको अवसर देती है। इसी प्रकार क्षेत्रवाद की बात करें तो राज्यसभा में भाजपा ने अब तक जोधपुर संभाग को सर्वाधिक महत्व दिया है। उदयपुर में हाल ही संपन्न कांग्रेस के चिंतन शिविर के मद्देनजर भाजपा मेवाड़ को मजबूत रखना चाहेगी एवं इसके लिए प्रबल संभावना है कि भाजपा मेवाड़ क्षेत्र से ही उम्मीदवार का चयन करे। जातिगत व क्षेत्रीय आधार के साथ केंद्र में मोदी सरकार की योग्य व्यक्ति को कार्य देने की नीति के तहत डॉ. भूपेंद्र यादव व केके अलफांस की तरह योग्य कार्यकर्ता को प्राथमिकता भी दी जा सकती है ताकि राज्यसभा में राजस्थान का प्रभावी प्रतिनिधित्व मिल सके।
इस बार के चुनाव में लगता है की भाजपा एक तीर, तीन शिकार वाली कहावत को चरितार्थ करेगी यानि जातिगत व क्षेत्रीय समीकरण के साथ योग्यता, संघ पृष्ठभूमि व विचार के प्रति समर्पण को ज्यादा महत्व देगी ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा इसका अधिकाधिक लाभ ले सके तथा संघ को भी खुश रख सके। कांग्रेस की अकादमिक प्रतिभाओं को राज्यसभा में ज्यादा महत्व देने की रणनीति के तहत भाजपा भी इस फार्मूले का प्रयोग कर सकती है। कांग्रेस की रणनीति में तो केंद्रीय नेताओं को जगह मिलनी संभावित लगती है, लेकिन भाजपा समर्पित कार्यकर्ता को महत्व देती है या नहीं यह भविष्य की गर्त में ही है। इसका खुलासा नामांकन की अन्तिम तिथि तक ही हो पाएगा।

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