कभी दामन में दु:ख के कांटे भर जाये तो भूलकर भी प्रभू से शिकायत मत करना कभी अपनों से धोखा खा जाएं तो ये कहने का दुस्साहस मत करना कि अपनों ने धोखा दिया। पार्टनर ने विश्वासघात करा तो ऐसी सोच मत बनाना कि वो भी किये का फल चखे। क्योंकि हर लाईन में तुम्हें तुम्हारे कल की रचना नजर आनी चाहिए। कल अतीत अनागत दोनों से जुड़ा होता है। ध्वनि की प्रतिध्वनि आती है। तुम्हारे कल का निर्माण तुमने ही किया है। वो ही बिम्ब का प्रतिबिंब बनकर तुम्हारे सामने आ रहा है। दूसरो की ओट में अपना बचाव करने वाला हकीकत पर पर्दा डालता है और ये नादानी उसने अनागत कल की रचना इस कदर करेगी कि चाह करके भी वो खुश नहीं रह पायेगा। हां इस शाश्वत सच को जानना कि जो प्रभू के संबोधन से सम्मानित है। अर्चित पूजित है वो किसी के दामन में दुख के कांटे क्यों भरेगा। वो तो अपनी कर कृति को सुखी देखना चाहते हैं। हमें धोखा भी कहीं बाहर से नहीं मिलता। हमारी ही चेतना अंधेरे में रहती है तब स्वाभाविक है अंधेरे में तो धोखा कोई भी खा सकता है। कदम उजाले की ओर बढ़ेंगे तो कभी धोखा नहीं खाएंगे। आत्मा अपनी खूबियों का खुलकर स्वागत करे। एक दिन कल की रचना इतनी दिव्य हो उठेगी कि फिर किसी कल की रचना होगी ही नहीं।
चिंतनशीला वसुमति जी मा.सा।
