नई दिल्ली। पूर्वी यूपी का गेहूं आने से गत एक पखवाड़े के अंतराल बाजार में थोड़ा मंदा आ गया था, लेकिन अब नीचे वाले भाव पर दूर की मंडियों से पड़ते समाप्त हो गये हैं। इसे देखते हुए अब इसमें मंदा नहीं लग रहा है तथा व्यापार में रिस्क नहीं है।
उत्तर भारत में अभी तक केन्द्रीय पूल से टेण्डर में बिकने वाले गेहूं की लोडिंग रोलर फ्लोर मिलों के लिए नहीं हो रही है क्योंकि प्राइवेैट सैक्टर का गेहूं इस बार सस्ता पड़ रहा है। एफसीआई गेहूं के भाव 1800 रुपए निर्धारित किये गये हैं। हरियाणा में 1760 रुपए का है। वहां का गेहूं भी यहांं 1800 रुपए आकर पड़ेगा। जबकि रोलर फ्लोर मिलों को लोकल मंडियों से 1765 रुपए मिल पहुंच में गेहूं मिल रहा है, जो गत एक सप्ताह पहले 1790 रुपए पर मिल रहा था। इस बार गेहूं का उत्पादन 980 लाख टन के करीब होने का अनुमान था, लेकिन अभी भी मंडियों में आवक को देखते हुए 1000 लाख टन के करीब अनुमान लगाने लगे हैं। केन्द्रीय पूल में गेहूं की खरीद 308 लाख टन से कुछ ऊपर हो चुकी है तथा दक्षिण भारत के लिए भी एमपी-हरियाणा से कई रैक माल पहुंच चुका है तथा अभी भी एमपी-यूपी में 1550/1575 रुपए गेहूं के भाव चल रहे हैं, जिससे वहां की मिलों में आटा, मैदा, सूजी यहां के पड़ते से नीचे बिक रहे हैं। यही वजह है कि लारेंस रोड, नरेला, नजफगढ़, राई, कोंडली सहित अन्य क्षेत्रों की आटा मिलें 24 घंटे की बजाय 12 घंटे ही गेहूं की प्रोसेसिंग कर रही हैं तथा यूपी, हरियाणा, राजस्थान, एमपी एवं बिहार में गत वर्ष की तेजी को देखकर स्टॉकिस्टों ने स्टॉक भी किया है, जो अब माल बेचने लगे है। अत: कुछ दिनों तक बाजार नहीं बढ़ेंगे। अभी बिहार, असम में बाढ़ से रेल यातायात भी बाधित हो गया है, जो कुछ दिनों तक माल न जाने से बाजार रुकेगा, लेकिन उसके बाद जैसे ही बाढ़ समाप्त होगी। सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर गेहूं की मांग उक्त दोनों राज्यों की बढ़ जाएगी, जिससे बाजाार तेज होने लगेगा। इस समय 1760/1770 रुपए के भाव नीचे वाले लग रहे है। उत्पादक मंडियों में भी भाव निचले स्तर पर आ चुके हैं। अत: वर्तमान भाव में दूर-दूर तक गेहूं में रिस्क नहीं लग रहा है। एनएनएस
आवक बढऩे से गेहूं में अब मंदा समाप्त
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