बिजनेस रेमेडीज़/जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश की डबल इंजन सरकार द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में किए जा रहे दूरदर्शी निर्णयों से राजस्थान शीघ्र ही विद्युत उत्पादन में सरप्लस श्रेणी में आ जाएगा और प्रदेश की ऊर्जा संबंधी सभी आवश्यकताएं पूरी होंगी। उन्होंने कहा कि आज जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए है उनको धरातल पर उतारने और समयबद्ध रूप से पूर्ण करने के लिए राज्य सरकार पूरी शक्ति एवं सामथ्र्य के साथ कार्य करेगी, ताकि आपणो अग्रणी राजस्थान की संकल्पना साकार हो।
मुख्यमंत्री शर्मा मुख्यमंत्री कार्यालय में तापीय और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं, प्रसारण तंत्र, विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण तथा अन्य विकास कार्यों के लिए 1.60 लाख करोड़ के एमओयू एवं पीपीए हस्ताक्षर के अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज राज्य में 31 हजार 825 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की विभिन्न परियोजनाओं सहित ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए राज्य की 3 विद्युत निगमों एवं 6 केन्द्रीय उपक्रमों के उच्चाधिकारियों के मध्य 5 एमओयू तथा एक पावर परचेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए। साथ ही, राज्य में अवसंरचना क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न विभागों, उपक्रमों तथा संस्थाओं के वित्त पोषण के लिए आरईसी लिमिटेड और राज्य सरकार के बीच भी 20 हजार करोड़ रूपए का एक एमओयू किया गया है।
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा राजस्थान : सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने 3 माह के अल्प कार्यकाल में ही प्रदेश को विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। प्रदेश के जल संकट को दूर करने के लिए गत दिनों हुए कई ऐतिहासिक समझौतों के बाद अब ऊर्जा के क्षेत्र में भी राज्य को अग्रणी एवं आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार का गठन होते ही गत दिनों केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री तथा केन्द्रीय कोयला मंत्री से सार्थक चर्चा कर कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। राज्य सरकार के प्रयासों तथा केन्द्र सरकार के सहयोगात्मक रूख के कारण वर्तमान में राज्य को 23 कोल रेक प्रतिदिन मिल रहा है। साथ ही आज राज्य के विद्युत गृहों की थर्मल पॉवर इकाइयों से औसत विद्युत उत्पादन में 1000 मेगावॉट की वृद्धि हो चुकी है।
एक बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य करेंगे हासिल : कार्यक्रम को केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी वर्चुअली संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश में प्रचुर मात्रा में कोयला उत्पादन किया जा रहा है और हम शीघ्र ही एक बिलियन टन कोयला उत्पादन के ऐतिहासिक लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। जोशी ने बताया कि देश में पहली बार पोटाश खनन की शुरुआत राजस्थान से की जा रही है। राज्य के हनुमानगढ़ और बीकानेर स्थित दो खान ब्लॉक्स को नीलामी में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। जोशी ने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी राजस्थान को कोयला मंत्रालय से हरसंभव सहयोग मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नई सरकार का गठन होने के बाद उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई थी। उस सार्थक चर्चा के बाद ही कोयला उपलब्धता से संबंधित समस्याओं को समाधान हो पाया है।
परियोजनाओं का होगा समयबद्ध क्रियान्वयन : ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए राजस्थान का ऊर्जा विभाग समर्पित भागीदारी निभाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश की बढ़ती मांग के अनुरूप विद्युत उत्पादन में वृद्धि के लिए इन परियोजनाओं को समयबद्ध रूप से क्रियान्वित करेगी। केन्द्रीय उपक्रमों को ऊर्जा विभाग की ओर से पूर्ण सहयोग प्रदान किया जाएगा।
ये हुए एमओयू एवं पीपीए
< संयुक्त उपक्रम द्वारा छबड़ा थर्मल प्लांट पर 1600 मेगावाट अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल कोयला आधारित विद्युत परियोजना स्थापित करने के लिए राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम (आरवीयूएन) तथा एनटीपीसी के मध्य समझौता।
< संयुक्त उपक्रम के तहत 25 हजार मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए आरवीयूएन एवं एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के बीच एमओयू।
< संयुक्त उपक्रम बनाकर 1600 मेगावाट कोयला आधारित एवं 2500 मेगावाट अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए आरवीयूएन एवं कोल इंडिया लिमिटेड के मध्य समझौता।
< संयुक्त उपक्रम के तहत 125 मेगावाट लिग्नाइट आधारित परियोजनाएं एवं 1000 मेगावाट सौर परियोजना स्थापित करने के लिए आरवीयूएन तथा एनएलसी इंडिया लिमिटेड के मध्य एमओयू।