जयपुर/निस। पिछले कुछ वर्षों से देश के कई राज्यों में ग्रामीण आबादी को सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण काम चल रहा है, जो औपचारिक वित्तीय पारिस्थितिक तंत्र से छूट गई थीं या बैंकिंग से दूर रह गई थीं। यह काम सहकारिता के लोकतांत्रिक कार्यकलाप के माध्यम से ही संभव हो पा रहा है क्योंकि खुद लोगों से बनी यह को-ऑपरेटिव संस्थाएं स्वयंसेवा और परस्पर सहायता के सिद्धांत पर कार्य करती हैं। यूनाइटेड मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड (‘यूनाइटेड’) को वर्ष 2012 में ‘मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट -2002’ के तहत पंजीकृत करवाया गया था। ‘यूनाइटेड’, राजस्थान में अपने वर्तमान परिचालन क्षेत्र में 45 से अधिक शाखाएं तत्काल शुरू करने की योजना बना रही है। यह शाखाएं जोधपुर, पाली, सिरोही, बारां, करौली, सवाई माधोपुर, बूंदी, झालावाड़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, हनुमानगढ़, चूरू, बाड़मेर आदि जिलों और तहसीलों के अप्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में खोली जाएंगी।
द यूनाइटेड मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के सीईओ दिनेश कुकरेजा का कहना है, ‘पिछले कुछ वर्षों से सरकार एक ही आदर्श लेकर आगे बढ़ रही है, ऋण के लिए आवेदन शर्तों को बहुत लचीला करना और ‘वित्तीय समावेशन’ के जरिए औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक मजबूत पहुंच का वातावरण तैयार करना। दरअसल, निजी उधारदाताओं के माध्यम से आसान कर्ज मिल जाने के चलते कर्ज देने वालों का एकाधिकार बढ़ता है और कर्जदार की महत्वपूर्ण संपत्तियां भी खतरे में आ जाती हैं, उधार चुकाने का भारी दबाव और कर्ज चुकाने के लिए ब्याज की उच्च दरें इस कर्ज को बढ़ाती चली जाती हैं। यूनाइटेड मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड (‘यूनाइटेड’) को वर्ष 2012 में इस आदर्श के साथ स्थापित किया गया था कि सबसे वंचित लोगों के बीच बचत, निवेश और कमाई के गुणों को विकसित करने की पहल की जाए। मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटीज के मंच के जरिए सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों को औपचारिक बैंकिंग का इस्तेमाल करते हुए या निवेश पर रिटर्न के माध्यम से कर्ज का लाभ उठाने, बचाने या कमाने के लिए वित्तीय सुविधाएं दी जाएं।’
यूनाइटेड मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड (‘यूनाइटेड’) का जमा आधार 71 करोड़ रुपए का है और इसकी ओर से अपने सदस्यों के बीच गृह गण, संपत्ति पर ग ण, उपभोक्ता गण, माइक्रोफाइनेंस और बंधक गण के माध्यम से 63 करोड़ रुपयों का भुगतान किया गया है।
दिनेश कुकरेजा ने बताया, ‘राजस्थान के लिए वर्ष 2010 की सेंटर फॉर माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट के मुताबिक गरीबों को आत्मनिर्भर बना कर उनके जीवन के स्तर को ऊंचा उठाने में माइक्रो-फाइनेंस की अहम भूमिका है और स्व-सहायता व संयुक्त देयता समूह जैसे मॉडल के जरिए ही यह काम बेहतर तरीके से हो सकता है। उनके उत्थान की इस वजह से प्रेरित होकर हमने यूनाइटेड मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में माइक्रोफाइनेंस की जरूरत महसूस की और इसे शुरू भी किया। ‘यूनाइटेड’ ने अब तक संयुक्त देयता समूह ‘जॉइन्ट लाइबिलिटी ग्रुप’ (जेएलजी) की सुविधा देते हुए महिला उद्यमियों को 20 करोड़ रुपये का माइक्रोफाइनेंस ग ण दिया है और 18396 महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने में योगदान दिया है।’
यूनाइटेड मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के सभी सदस्य शेयरधारक हैं और संस्था यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी शेयरधारक का कोई एकाधिकार न रहे। इसके लिए प्रति सदस्य होल्डिंग लिमिट तय रहती है ताकि संस्था कुछ हाथों की बजाय सभी सदस्यों के नियंत्रण में रहें। संस्थान में हर स्तर पर भर्ती किए गए लोग भी अपने-अपने काम में माहिर व पेशेवर हैं।
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