Monday, February 17, 2025 |
Home » वात, पित्त व कफ तीनों प्रकार के विकारों को दूर करती है हल्दी

वात, पित्त व कफ तीनों प्रकार के विकारों को दूर करती है हल्दी

by admin@bremedies
0 comments

हेल्थ डिस्क- रसोई में रखे बहुत से मसालों के बीच एक मसाला है हल्दी होता है जिसके बिना आपका भोजन नीरस एवं बदरंग हो जाएगा। विश्व में हल्दी की लगभग सत्तर किस्में चलन में हैं। इनमें से लगभग तीस किस्में हमारे देश में ही उगाई जाती हैं। हल्दी हमारे भोजन का तो एक प्रमुख अंग है ही लेकिन क्या आप जानते हैं कि हल्दी में अनेक औषधीय गुण भी होते हैं।
अदरक की तरह हल्दी भी पौधे की कन्द की गांठों से प्राप्त होती है। एक विशेष क्रिया के द्वारा हल्दी में पर्याप्त रंग तथा गंध उत्पन्न की जाती है। पहले गांठों को पानी में तब तक उबाला जाता है जब तक कि वह नरम न हो जाए। चटक रंग के लिए पानी को सोड़ा या चूना डालकर क्षारीय कर लिया जाता है। अच्छी तरह से पकी हुई गांठों को पालिश किया जाता है तो इन्हें पीस कर हल्दी पाउडर बना लिया जाता है। करक्यूमिन नामक पिगमेंट के कारण हल्दी का रंग पीला होता है।
100 ग्राम हल्दी में लगभग 6.3 ग्राम प्रोटीन होता है। जबकि ऊर्जा लगभग 349 किलो केलौरी होती है। परन्तु पोषण की दृष्टि से हल्दी का ज्यादा महत्व नहीं है क्योंकि दिन भर में हल्दी की जो मात्रा हमारे भोजन में प्रयोग की जाती है वह बहुत ही थोड़ी लगभग 2 से 5 ग्राम ही होती है। हल्दी एक महत्वपूर्ण औषधि है। परन्तु अकसर लोग जानकारी के अभाव के कारण इससे पूरा लाभ नहीं उठा पाते।
वात, पित्त तथा कफ तीनों प्रकार के विकारों को ठीक करने की शक्ति हल्दी में होती है। गरम दूध में हल्दी डालकर पिलाने से रोगी को खांसी से आराम मिलता है। हल्दी की छोटी सी गांठ को यदि सेंक कर रात को सोते समय मुंह में रखा जाए तो भी जुकाम-खांसी में लाभ मिलता है। दो ग्राम हल्दी के चूर्ण में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर, मुंह में डालकर ऊपर से गर्म पानी पीने से खांसी का प्रकोप नष्ट हो जाता है। रात को गर्म दूध में हल्दी डालकर पीने से दबी आवाज खुल जाती है और गला भी हल्का हो जाता है। इसी दूध में एक चम्मच घी मिला देने पर खांसी जुकाम पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। बढ़े हुए टांसिल पर हल्दी लगाने से लाभ मिलता है।
सिर दर्द में भी हल्दी से आराम मिलता है इसके लिए पिसी हुई हल्दी को पानी में उबाल कर उसकी भाप को सांस द्वारा अंदर खींचना चाहिए। एक कप चाय में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीने से सिरदर्द के साथ-साथ कमर दर्द में भी आराम मिलता है। हल्दी अपने आप में बहुत अच्छी ऐन्टिसेप्टिक भी है। किसी भी घाव पर हल्दी और गरम तेल लगाने से वह जल्दी ठीक हो जाता है। यह तो सभी जानते हैं कि गुम चोट लगने पर पिसी हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए साथ ही हल्दी को चूने में मिलाकर ताजा चोट पर लगाने से बहता खून बंद हो जाता है। यदि चोट लगने पर खून जम जाए तो हल्दी को पानी में पीसकर गर्म करके चोट पर लगाना चाहिए। हल्दी की पुल्टिस बनाकर सूजे हुए भागों पर लगाने से आराम मिलता है, मोच आने पर हल्दी का लेप पीड़ित अंग को लाभ पहुंचाता है।
नमक मिली हल्दी को मंजन की तरह प्रयोग करने से दांतों का पीलापन तो दूर होता ही है मसूढ़ों में भी मजबूती आती है। बराबर मात्रा में काले नमक और हल्दी का सेवन पेट की गैस दूर करता है। हिचकी दूर करने के लिए चुटकी भर हल्दी पानी में मिलाकर लें। बराबर मात्रा में (लगभग पांच-पांच ग्राम) हल्दी और उड़द की दाल का पाडडर जलती चिलम में रखकर कश खींचने से हिचकी बंद हो जाती है। गठिया रोग में हल्दी के लड्डू विशेष लाभ देते हैं इसके लिए आग में भुनी हुई हल्दी की गांठों को घिसकर उसमें गुड़ मिलाकर लड्डू बनाएं। आप चाहें तो इसमें काजू भी मिला सकते हैं। इन लड्डूओं का सेवन प्रतिदिन सुबह नींबू या तुलसी की चाय के साथ करना चाहिए।
हल्दी में विष हरने का गुण भी पाया जाता है। किसी विषैले कीड़े के काटने पर तुरन्त हल्दी को घिसकर उसके लेप में नींबू का रस मिलाकर प्रभावित अंग पर लगाया जाना चाहिए। गर्भवती महिलाएं यदि नवें मास में लगभग पांच ग्राम हल्दी पीसकर दूध के साथ सेवन करें तो उन्हें प्रसव कष्ट कम होगा तथा साथ ही बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
यकृत के विभिन्न रोगों में हल्दी विशेषकर लाभकारी है। पीलिया होने पर लगभग तीन ग्राम हल्दी को आधा किलो छाछ में मिलाकर सेवन करें। ऐसा करते हुए गर्म पानी से स्नान से परहेज करें तथा भोजन में मिर्च मसाले का प्रयोग न करें। लगभग दो ग्राम हल्दी को गाय के पच्चीस ग्राम घी में मिला कर सुबह-सुबह खाली पेट खाने से फायदा होता है। थोड़े से दही में हल्दी मिलाकर सुबह-शाम खाने से भी सात-आठ दिन में पीलिया ठीक हो जाता है।
आंखों की बीमारियों में भी हल्दी गुणकारी है। इसके लिए हल्दीयुक्त पानी तैयार किया जाना चाहिए इस पानी में दुखती या सूजी हुई आंखें धोने से फायदा होता है। हल्दी युक्त पानी बनाने के लिए हल्दी को पानी में उबाल लें तथा उसे दो-तीन बार साफ कपड़े से छानकर बोतल में डालकर रख लें।
त्वचा के विभिन्न विकारों को दूर करने के लिए हल्दी श्रेष्ठ मानी जाती है। त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुन्सी मुख्यत: रक्त की अशुद्धि के कारण होते हैं। रक्त की शुद्धि के लिए हल्दी युक्त जल में शहद मिलाकर उसका सेवन करना चाहिए। इस मिश्रण को बनाकर संग्रहित किया जा सकता है। इसका सेवन भोजन के लगभग आधा घंटा बाद करना चाहिए। नियमित रूप से इसका सेवन विभिन्न त्वचीय विकारों के होने की संभावना कम कर देता है। यदि फोड़े-फुन्सियों के कारण, त्वचा पर गड्ढे पड़ गए हों तो हल्दी का लेप लगाने से जल्द ही नई त्वचा आ जाती है। हल्दी की गांठ का गाढ़ा लेप एग्जिमा से भी राहत दिलाता है।
गर्मियों में घमौरियां सभी को परेशान करती हैं। आधा किलो कच्ची हल्दी की गांठों को उबालकर उसमें 200 ग्राम शहद मिलाकर रखें। इस मिश्रण का सेवन फायदेमंद होता है।



You may also like

Leave a Comment

Voice of Trade and Development

Copyright @ Singhvi publication Pvt Ltd. | All right reserved – Developed by IJS INFOTECH