नई दिल्ली। पूर्वोेत्तर भारत समेत कई राज्यों में बाढ़ आने तथा कई राज्यों में वर्षा होने के कारण जीरे का कारोबार प्रभावित हुआ है। आगामी दिनों में हाजिर में जीरा तेज होने का अनुमान नहीं है।
असम में बाढ़ की स्थिति में हाल ही में हुए थोड़े सुधार के बाद भी पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में बाढ़ की स्थिति अभी भी खराब ही बताई जा रही है। इतना ही नहीं, अंतिम सूचना के समय ओडि़सा में भारी वर्षा हो रही है। इस वर्षा के कारण राजधानी भुवनेश्वर में बाढ़ जैसे हालात बनने की खबरें आ रही हैं। इनके अलावा महाराष्टï्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर भारत के कई राज्यों में भी रुक-रुककर वर्षा होने की सूचनाएं हैं। बाढ़ एवं वर्षा की इस स्थिति के कारण जीरे का थोक व्यापार प्रभावित हुआ है। ऊंझा में पिछले कुछ समय से जीरे की करीब 4/5 हजार बोरियों की आवक होने की रिपोर्ट्स हैं। ऊंझा में ‘गणेश’ एवं ‘जीएल गुलाब’ जीरा फिलहाल 3630/ 3650 रुपए प्रति 20 किलोग्राम के स्तर पर स्थिर बना हुआ है। इसका प्रमुख कारण यह है कि दीवाली जैसा बड़ा त्यौहार सामने होने के बाद भी विपरीत मौसम के कारण दिसावरों का उठाव सुस्त बना हुआ है। इतना ही नहीं, खाड़ी के अलावा यूरोपीय देशों की लिवाली भी सुस्त पडऩे की खबरें आ रही हैं। उधर, फसल खराब होने के बाद तुर्की और सीरिया की आपूर्ति अब कमजोर पडऩे लगी है। इसके फलस्वरुप विभिन्न प्रमुख आयातक देशों का रुख धीरे-धीरे भारत की ओर होना आरम्भ हो गया है। तुर्की एवं सीरिया में जीरे का उत्पादन सामान्य से कुछ कमजोर होने तथा क्वालिटी भी तुलनात्मक रूप से कमजोर होने के कारण अंतर्राष्टï्रीय बाजार में जीरे की तंगी महसूस की जाने लगी है। भारत में मानसून सीजन होने के कारण निर्यातकों की गतिविधियां तुलनात्मक रूप से सुस्त बनी हुई हैं।
गौरतलब है कि पिछले पांच-छ: वर्षों से तुर्की एवं सीरिया गृहयुद्ध की चपेट में होने के कारण जीरे का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसीलिए भारतीय जीरे की अंतर्राष्टï्रीय मांग वर्ष-दर-वर्ष बढ़ रही है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में पिछले कुछ समय से जीरा सामान्य 19700/19800 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर बना हुआ है। उधर, अंतर्राष्टï्रीय बाजार में भारतीय जीरा फिलहाल 3.84 डॉलर प्रति किलोग्राम के स्तर पर रुका हुआ है। आगामी समय में जीरा तेज होने की उम्मीद नहीं है। एनएनएस
जीरे में अभी तेजी की सम्भावना नहीं
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