Monday, February 17, 2025 |
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‘भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव का अंजाम हो सकता है युद्ध’

by admin@bremedies
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वाशिंगटन (प्रेट्र)/एजेंसी- डोकलाम में भारत और चीन की सेनाओं के आमने-सामने डटे होने के मामले को अमेरिका खतरनाक मान रहा है। वहां की एक संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गतिरोध दोनों देशों के बीच युद्ध भी करा सकता है। उस दौरान अमेरिका और भारत का सामरिक सहयोग चीन के साथ अमेरिकी रिश्तों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।
कांग्रेस की शोध सेवा की ओर से दो पन्ने की यह संक्षिप्त रिपोर्ट ‘डोका-ला में चीन सीमा पर तनाव’ शीर्षक से यह रिपोर्ट पेश की गई है।
इस रिपोर्ट में दोनों देशों के सैनिकों की स्थिति के बारे में जानकारी है। उल्लेखनीय है कि सिक्किम सेक्टर के गतिरोध वाले डोकलाम इलाके को भारतीय क्षेत्र में डोका-ला कहा जाता है। जिस त्रिकोणीय इलाके में गतिरोध बना हुआ है, वह डोकलाम कहलाता है और वह भूटान के अधिकार वाला क्षेत्र है। इसी क्षेत्र पर कब्जा करके चीन वहां पर सड़क बनाना चाहता था जिसे गत 16 जून को भारतीय सेना ने बलपूर्वक रुकवा दिया। यह इलाका उत्तर-पूर्वी प्रदेशों को शेष भारत से जोडऩे वाले संकरे गलियारे के बिल्कुल नजदीक है। इसके चलते भारत को चीन के कब्जा करके सड़क बनाने वाले कदम से अपनी सुरक्षा के लिए खतरा नजर आया।
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस विवाद का बातचीत से हल न होना दोनों देशों को टकराव की तरफ ले जा सकता है। यह रिपोर्ट भविष्य की कार्रवाई के लिए ट्रंप प्रशासन को कांग्रेस की ओर से सलाह और सहयोग देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। रिपोर्ट तैयार करने वाली शोध संस्था अमेरिकी कांग्रेस के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करती है। इसका अमेरिकी सरकार से कोई मतलब नहीं होता है। यह देश हित पर कांग्रेस को रिपोर्ट करती है। उसकी रिपोर्ट का मसौदा सरकार की नीति से अलग हो सकता है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि डोकलाम विवाद भारत और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता के नए अध्याय की शुरुआत कर सकता है। यह प्रतिद्वंद्विता केवल इसी इलाके तक सीमित नहीं रह सकती है बल्कि यह 2,167 मील लंबे विवादास्पद सीमा क्षेत्र में भी फैल सकती है। इसका असर दक्षिण एशिया ही नहीं हिंद महासागर क्षेत्र में दिखाई दे सकता है। ताजा विवाद का असर दोनों देशों के व्यापार समझौतों पर भी पड़ सकता है, जिनकी छाया अन्य पड़ोसी देशों पर भी दिखाई देगी। वैसे इस प्रतिद्वंद्विता की शुरुआत भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में पहुंचने से रोकने और आतंकी सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित न होने देने के चीन के कदमों से शुरू हो चुकी है।



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