नई दिल्ली/एजेंसी- हर्बल-टी और काढ़ा की पत्तियों को सही तरीके से उबाल कर सेवन करने से एसिडिटी, अपच व कई रोगों को दूर कर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
चाय की चुस्कियां लेना सभी को अच्छा लगता है लेकिन इसे ज्यादा पीने से एसिडिटी अपच आदि समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में हर्बल-टी और काढ़ा बेहतर विकल्प हैं। यह सर्दी से बचाने के साथ सेहत भी दुरुस्त रखेगी।
हिबिस्कस-टी, हृदय रोगों से बचाए : गुड़हल के फूलों को सुखाकर इसे तैयार किया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने के साथ यह हृदय रोग व स्ट्रोक का खतरा कम करती है।
एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर हिबिस्कस-टी शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत करने के अलावा आर्थराइटिस डायबिटीज डिप्रेशन में फायदेमंद और कैंसर से बचाती है।
ग्रीन-टी, इम्यूनिटी बढ़ाती : एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर ग्रीन-टी रोग प्रतिरोधक तंत्र की कार्यक्षमता बढ़ाती है। लाइफस्टाइल डिजीज जैसे मोटापा, थायरॉइड, हाईबीपी, आर्थराइटिस, डायबिटीजए हृदय रोगों को नियंत्रित करती है। फाटोकेमिकल्स होने के कारण यह कैंसर की रोकथाम में भी मददगार है।
लेमनग्रास-टी: हरी लंबी पत्तियों वाली लेमनग्रास की खुशबू नींबू जैसी होने के कारण इसे लेमनग्रास कहा जाता है। खांसी, जुकाम व बुखार में यह काफी प्रभावशाली है इसलिए इसे फीवरग्रास भी कहते हैं। इसमें विटामिन-ए, सी के अलावा कैल्शियम आयरन, पोटेशियम आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह पाचनक्रिया दुरुस्त रखने के साथ आर्थराइटिस और कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित करती है।
वाइट-टी : ग्रीन-टी की शुरुआती अवस्था : आजकल वाइट-टी का नाम भी अक्सर सुनने को मिलता है। दरअसल वाइट-टी व ग्रीन- टी एक ही प्लांट (कैमेलिया सिनेंसिस) की पत्तियां हैं। ये पत्तियां शुरुआत में सफेद होती हैं जो बाद में पककर हरी हो जाती हैं। इनके फायदे व प्रयोग करने का तरीका भी एक ही है। शुरुआती स्टेज होने के कारण सफेद में पोषक तत्व हरी पत्तियों की तुलना में थोड़े ज्यादा होते हैं।
