नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय श्रम आधारित क्षेत्रों मसलन चमड़ा आदि के लिए प्रोत्साहन पैकेज तैयार कर रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इस कदम के पीछे उद्देश्य निर्यात बढ़ाना और निर्यातकों से जुड़े मुद्दों को हल करना है। उन्होंने कहा कि कुछ समय से निर्यात क्षेत्र के समक्ष कर्ज की उपलब्धता जैसी चुनौतियां हैं।
प्रभु ने कहा, ‘‘हम पैकेज तैयार कर रहे हैं जिससे यह सुनिश्चित होगा कि निर्यातकों की दिक्कतों का उचित तरीके से समाधान किया जा सके। कुछ समय से निर्यात क्षेत्र के समक्ष कई चुनौतियां हैं और एक बड़ी चुनौती कर्ज की उपलब्धता की है।’ उन्होंने बताया कि यह पैकेज श्रम आधारित क्षेत्रों मसलन चमड़ा, कपड़ा और समुद्री उत्पादों पर केंद्रित होगा। ये क्षेत्र रोजगार सृजन में मददगार होंगे। मंत्री ने कहा कि निर्यात क्षेत्र को ऋण में बड़ी गिरावट आई है। वाणिज्य विभाग ने इस मुद्दे को वित्त मंत्रालय तथा भारतीय रिजर्व बैंक के साथ उठाया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं संभवत: नए रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास से मिलूंगा और उन्हें बताऊंगा कि निर्यात के मोर्चे पर हमें क्या नई चीजें करने की जरूरत है। हम यह भी कह रहे हैं कि रिजर्व बैंक को निर्यात क्षेत्र के ऋण को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के रूप में वर्गीकृत करना चाहिए।’ प्रभु ने कहा कि निर्यात क्षेत्र के समक्ष एक अन्य परेशानी माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड को लेकर आ रही है। मंत्री ने सुझाव दिया कि ई वॉलेट प्रणाली शुरू कर निर्यातकों की समस्याओं को दूर किया जा सकता है, जो जीएसटी रिफंड में देरी को लेकर शिकायत कर रहे हैं। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि यदि ई वॉलेट होगा तो सबसे पहले निर्यातकों को कर देना ही नहीं होगा। आज समस्या यह है कि उन्हें रिफंड एक समय के बाद मिलता है। पहले उन्हें अग्रिम में इसका भुगतान करना होता है। इससे कार्यशील पूंजी फंस जाती है। इसी वजह से हम इस मुद्दे को हल करना चाहते हैं।
