बिजनेस रेमेडीज/नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए केंद्र और राज्यों को श्रम तथा भूमि क्षेत्रों में बड़े स्तर पर सुधारों को आगे बढ़ाने को लेकर एक साथ आने की जरूरत है।
उन्होंने सीआईआई के एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उम्मीद जतायी कि भारतीय रिजर्व बैंक दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कटौती करेगा। आरबीआई फरवरी, 2023 से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए हुए है। सीआईआई अध्यक्ष ने देश की वृद्धि क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के लिए आवश्यक सुधारों पर उद्योग मंडल के दृष्टिकोण को साझा किया।
दिनेश ने कहा, ‘‘सीआईआई की तरफ से जब हम वृद्धि दर में तेजी लाने पर गौर करते हैं… तो मोटे तौर पर हम तीन-चार क्षेत्रों के बारे में बात करते हैं। सबसे पहले भूमि और श्रम क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सुधारों पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही कुछ हद तक कृषि क्षेत्र में भी सुधार की जरूरत है।’’ उन्होंने सुधारों को लेकर सभी राज्यों के बीच आम सहमति बनाने की भी बात कही। दिनेश ने इस बारे में कहा कि सीआईआई ने एक ऐसी संरचना का सुझाव दिया है जिससे केंद्र और राज्य बड़े पैमाने पर सुधारों पर मिलकर काम कर सकें।
जीएसटी की तरह संघीय संरचना इसके लिए कारगर हो सकती है।उन्होंने निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के बारे में कहा कि इसका प्रतिशत जरूर समान बना हुआ है, लेकिन क्षमता उपयोग पर सीआईआई सर्वेक्षण से पता चला है कि सभी प्रमुख क्षेत्रों में 75 प्रतिशत से ऊपर का स्तर होने का अनुमान है। दिनेश ने कहा, ‘‘यदि आप निजी पूंजीगत व्यय को देखें तो मुझे लगता है कि… हम 36-37 प्रतिशत के बीच हैं। यह (पूंजीगत व्यय) हो रहा है… पूंजीगत व्यय की वृद्धि दर सरकारी खर्च की वृद्धि दर के समान नहीं हो सकती है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई देश की मुद्रास्फीति और वृद्धि जरूरतों के बीच संतुलन को ‘बहुत सही और अच्छी तरह से’ प्रबंधित कर रहा है। एक उद्योग मंडल के रूप में हमने एक सर्वेक्षण किया जहां हमने पाया कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही तक नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद है।
