मुंबई। नए ऑडर्रों में आई कमी और उत्पादन में रही गिरावट से अप्रैल में देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियां 7 माह के निचले स्तर पर आ गई। इसकी वजह नए बिजनेस पैदा होने में मामूली वृद्धि और चुनावों के चलते पैदा हुए अवरोध रहे। यह जानकारी मासिक सर्वे से सामने आई। हालांकि चुनावों के बाद हालत के
नॉर्मल होने के अनुमान ने आउटलुक बेहतर होने की आशा को सहारा दिया और रोजगार में अच्छी तेजी दिखी।
अप्रैल में निक्केई इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स गिरकर 51 पर आ गया। मार्च में यह 52 के स्तर पर था। यह सितंबर 2018 से अब तक की सबसे कमजोर रफ्तार है।
लगातार 11 माह से सर्विस पीएमआई ग्रोथ के दायरे में: मंद रफ्तार के बावजूद सर्विस पीएमआई लगातार 11 महीने से एक्सपेंशन के दायरे में है। पीएमआई में 50 से ज्यादा का स्कोर ग्रोथ को और इससे कम का स्कोर गिरावट को दर्शाता है। अर्थशास्त्री के अनुसार इंडियन प्राइवेट सेक्टर इकोनॉमी कमजोर ग्रोथ फेज में दिख रही है। इसकी वजह मुख्य रूप से चुनावों से पैदा हुए अवरोध हैं। सरकार बन जाने के बाद कंपनियां आम तौर पर बेहतरी दर्ज करती हैं। लीमा ने यह भी कहा कि हालांकि अकेले चुनाव इस स्लो डाउन की वजह नहीं हैं। सर्विस सेक्टर में प्रतिस्पर्धी हालात और ऑनलाइन बुकिंग्स की ओर कस्टमर्स के रुझान ने नए बिजनेस के रास्तों में रुकावट डाली है, जिससे ग्रोथ की रफ्तार धीमी हुई है।
निक्केई इंडिया कंपोजिट पीएमआई में भी गिरावट: इस बीच मैन्युफैक्चरिंग व सर्विस इंडस्ट्री को मापने वाला निक्केई इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स गिरकर 51.7 पर आ गया। मार्च में यह 52.7 के स्तर पर था। अर्थशास्त्री के अनुसार इस धीमी रफ्तार की एक अन्य वजह मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर्स में महंगाई की दबाव कम होना भी है। साथ ही धीमी इकोनॉमी ग्रोथ ने बेंचमार्क रिपर्चेज रेट में आगे और कटौती की गुंजाइश बना दी है।