नई दिल्ली। देश अगले पांच साल में करीब 80,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता सृजित कर सकता है। एक सर्वे में यह कहा गया है। परामर्श कंपनी ब्रिज टू इंडिया के अनुसार कुल 80,000 मेगावाट में से 47,000 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाओं, 21,000 मेगावाट पवन ऊर्जा, 8,000 छतों पर लगने वाली सौर क्षमता तथा 3,000 मेगावाट जल क्षेत्र में लगने वाली सौर परियोजनाओं से सृजित होंगी।
कंपनी के इस सर्वे में विभिन्न देशों की 41 कंपनियों ने हिस्सा लिया। सर्वे में शामिल करीब 73 प्रतिशत प्रतिभागी भारतीय अक्षय ऊर्जा की वृद्धि संभावना को लेकर आशान्वित हैं। करीब 78 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि सरकार ने अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता लक्ष्य 1,75,000 मेगावाट कर उद्योग की वृद्धि को गति दी है। सरकार का 2022 तक नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1,75,000 मेगावाट करने का लक्ष्य है। इसमें से 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा तथा 60,000 मेगावाट पवन ऊर्जा से आने का लक्ष्य है। सर्वे के मुताबिक हालांकि ज्यादातर प्रतिभागियों का मानना है कि उठाव जोखिम, भूमि अधिग्रहण तथा अनिश्चित नीति माहौल क्षेत्र के लिये सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।
करीब 90 प्रतिशत प्रतिभागियों का यह भी मानना है कि क्षेत्र में बोली माहौल आक्रामक है। उद्योग देश में विनिर्माण संभावनाओं को लेकर भी निराशा है। सर्वे में कहा कि इस चीज को समझा जा सकता है क्योंकि सरकार की घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के कदम विनिर्माण आधारित निविदा, कुसुम तथा रक्षोपाय शुल्क कोई सकारात्मक नतीजा लाने में असफल रहे हैं। ब्रिज टू इंडिया के प्रबंध निदेशक ने कहा, ”कुल मिलाकर सर्वे अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की वृद्धि को लेकर आशावादी तस्वीर पेश करता है। अगर बिजली वितरण कंपनियों में सुधार के लिये प्रभावी उपाय किये जाते हैं तथा नेटवर्क कनेक्टिविटी बेहतर किया जाता है तो हम आने वाले वर्ष में उच्च क्षमता सृजित कर सकते हैं।