नई दिल्ली। सरकार ने कबाड़ के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और पुर्नचक्रण के लिए इस्पात कबाड़ पुनर्चक्रण नीति (एसएसआरपी) अधिसूचित की है। इसका उद्देश्य देश में धातु के कबाड़ों के निस्तारण के लिए इकाई स्थापित करने को बढ़ावा देने के लिए रूपरेखा पेश करना है।
केंद्रीय इस्पात एवं पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में कहा कि यह नीतिगत व्यवस्था संगठित , सुरक्षित और पर्यावरण अनूकूल तरीके से कबाड़ के संग्रह और नष्ट करने संबंधी गतिविधियां सुनिश्चित करेगी। उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान कहा , इस्पात कबाड़ पुनर्चक्रण नीति को सात नवंबर 2019 को भारत के राजपत्र संख्या 345 में अधिसूचित किया गया है। यह नीति विभिन्न स्त्रोतों और उत्पादों से निकलने वाले लोहे के कबाड़ का पुर्नचक्रण करने और धातु को कबाड़ बनाने के केंद्रों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिये एक रूपरेखा तैयार करेगी। प्रधान ने कहा कि इस नीति में कबाड़ नष्ट करने के लिए इकाई तथा कबाड़ प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करने, एग्रीगेटर की भूमिका और सरकार , विनिर्माताओं एवं मालिकों की जिम्मेदारी तय करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं। इस्पात मंत्री ने कहा , इस नीति के तहत सरकार कबाड़ केंद्र स्थापित नहीं करेगी। सरकार की भूमिका देश में धातु कबाड़ केंद्रों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए एक व्यवस्था देना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कबाड़ की बिक्री के लिए किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं दिया है। यह कबाड़ की बिक्री के समय मौजूदा बाजार स्थितियों और दिशानिर्देशों से तय होगा।