कोलकाता/एजेंसी- केंद्र सरकार ने जब से जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत डाला है, तब से गोल्ड ज्वैलरी की बिक्री में 30 से 50 पर्सेंट गिरावट आई है। इस सेक्टर को 23 अगस्त को PMLA में डाला गया था, जिससे 50,000 रुपये और ज्यादा के हर ट्रांजैक्शन की रिसीट का केवाईसी कंप्लायंट होना जरूरी हो गया है। इससे गोल्ड कारोबारियों और खरीदारों में एक तरह का डर समा गया, जिसके चलते सेल में तेज गिरावट आई।
इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर केवाईसी लिमिट बढ़ाकर दो लाख रुपये नहीं की जाती है तो त्योहारी सीजन में भी बिक्री सुस्त रहेगी। इससे खासतौर पर ऑर्गनाइज्ड सेक्टर के उन ज्वैलर्स की बिक्री खासी प्रभावित होगी जो आमतौर पर कारोबार में पारदर्शिता बनाए रखते हैं।
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के नेशनल सेके्रटरी सुरेंद्र मेहता ने बताया कि कि बहुत से ज्वैलर्स ने इस डर से अनजाने और नए कस्टमर्स को गहने बेचना बंद कर दिया है कि कहीं वे खरीदारी बेनामी पैसों से तो नहीं कर रहे। और तो और केवाईसी लेना ही पर्याप्त नहीं है।
कोलकाता की सेंको गोल्ड एंड डायमंड के एमडी एस सेन ने बताया कि PMLA रेगुलेशंस के बाद से उनकी सेल में 30 पर्सेंट गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि बहुत सी महिलाएं, जो घरेलू खर्च से बचत करती हैं, हमारे आउटलेट पर सोना खरीदने आती हैं। अब हम उनसे 50,000 रुपये से ज्यादा की खरीदारी पर केवाईसी डॉक्युमेंट मांगते हैं तो वे डर जाती हैं। इससे हमारे कस्टमर्स हाथ से निकल रहे हैं। मेहता का मानना है कि PMLA में भी 2 लाख रुपये की मौजूदा पैन लिमिट को लागू किया जाना चाहिए।
ट्रेडर्स का कहना है कि 50,000 रुपये और उससे ज्यादा मूल्य के सोने के गहनों की खरीद के लिए केवाईसी जरूरी करने से नियमों का उल्लंघन होने का खतरा पैदा होगा। कोई ज्वैलर नहीं चाहेगा कि उसके कस्टमर्स छूटें। इसलिए वे नियमों की अनदेखी शुरू कर देंगे।
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने कहा कि सरकार के कदम से अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा जबकि ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को नुकसान होगा। GSF इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 7 सितंबर को सरकारी अफसरों से मुलाकात करेगा।
GSF के चेयरमैन ने यह भी कहा है कि 50,000 रुपये से ज्यादा के कैश ट्रांजैक्शन के लिए केवाईसी जरूरी किए जाने से फेस्टिव सीजन की सेल पर दबाव बनेगा।
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