नई दिल्ली/एजेंसी। किसी दूसरे का साहित्य चोरी करने वाले रिसर्च स्कॉलर और फैकल्टी पर अब कड़ी कार्रवाई होगी। दोषी पाए जाने पर रिसर्च स्कॉलर का रजिस्ट्रेशन रद्द हो जाएगा और फैकल्टी को अपने काम को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी जाएगी। इसके अलावा फैकल्टी की सालाना वेतन वृद्ध नहीं होगी और किसी स्टूडेंट या स्कॉलर को सुपरवाइज करने से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। साहित्य चोरी के प्रति अपने शून्य सहिष्णुता के प्रयास के तहत यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन ने इस समस्या पर काबू पाने के लिए एक नई नीति का मसौदा तैयार किया है। इसने कहा है कि उच्चतर शिक्षण संस्थान की अथॉरिटीज (एचईआई) भी साहित्य चोरी के मामले में स्वत: संज्ञान ले सकती है और कार्यवाही कर सकती है। नई नीति के मसौदे के अनुसार किसी अन्य के कार्य की चोरी करने के दोषी पाए जाने वालों पर तीन तरह का जुर्माना लगाया जाएगा। पहले और दूसरे स्तर के अपराध के लिए रिसर्चर्स को अपने कार्य में संशोधन करने का मौका मिलेगा और 60 फीसदी से ज्यादा समानता के तीसरे स्तर के मामले में उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा। थीसिस, डिजर्टेशन, टर्म पेपर्स, रिपोर्ट्स और इस तरह के अन्य दस्तावेज जमा करने वाले छात्र एक हलफनामा देंगे कि जमा किए गए दस्तावेज उनके द्वारा ही तैयार किए गए हैं और उनका असल काम है एवं उसमें किसी तरह की साहित्य चोरी नहीं है। सभी फैकल्टी, रिसर्चर और एमफिल/पीएचडी स्टूडेंट को अपनी स्क्रिप्ट्स के कॉन्टेंट की जांच के लिए साहित्य चोरी पकडऩे वाले टूल्स तक ऐक्सेस मुहैया कराया जाएगा। हलफनामे में स्कॉलर को यह उल्लेख करना होगा कि उन्होंने एचईआई द्वारा स्वीकृत साहित्य चोरी पकडऩे वाले टूल से दस्तावेज को चेक किया है।
