नई दिल्ली। महंगाई में आई कमी और अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बड़ी राहत देते हुए ब्याज दरों में कटौती की है।
आरबीआई ने पॉलिसी रेट्स में 0.25 फीसदी की कटौती की है। इसके बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी से 6.25 फीसदी हो गई है। ऐसा होने पर आम लोगों के लिए बैंक से कर्ज लेना सस्ता होने और ईएमआई घटने की उम्मीद बढ़ गई है।
आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष में देश की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। यह केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ष्टस्ह्र) के चालू वित्त वर्ष के 7.2 फीसदी के अनुमान से अधिक है। आरबीआई की तीन दिन चली मौद्रिक नीति समिति (रूक्कष्ट) की बैठक के बाद जारी दस्तावेज में ये आंकड़े दिये गये हैं। इसमें कहा गया है कि बैंक ऋण बढऩे और वाणिज्यिक क्षेत्र को सकल वित्तीय प्रवाह बढऩे का सकल घरेलू उत्पादन पर अनुकूल असर पड़ सकता है लेकिन वैश्विक स्तर पर मांग सुस्त पडऩे का इस पर प्रतिकूल असर हो सकता है। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी कम किया है। मौजूदा वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को कम कर 2.8 फीसदी किया गया है।
दिसंबर, 2018 में यह 2.2 फीसदी रही थी। केंद्रीय बैंक ने अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को भी कम कर 3.2-3.4 फीसदी कर दिया। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति अनुमान 3.9 फीसदी रखा रखा गया है।
‘रिजर्व बैंक सभी क्षेत्रों के लिये पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा’: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र के लिये नकदी की कमी नहीं हो।
रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर बाजार को आश्चर्यचकित कर दिया। मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद दास ने कहा, ‘‘हम लगातार नकदी की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी क्षेत्र को नकदी की कमी नहीं हो।’’ चालू वित्त वर्ष में अब तक खुले बाजार में हस्तक्षेप के जरिये डाली गयी नकदी 2.36 लाख करोड़ रुपये पहुंच गयी है।
