नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की पहचान के लिए 12 फरवरी 2018 के परिपत्र की जगह संशोधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि एनपीए समाधान के नए नियम सभी पुराने नियमों की जगह लेंगे।
नए नियमों के मुताबिक अब बैंकों को तीस दिनों के भीतर कर्ज में चूक की पहचान करनी होगी। इससे पहले कर्ज लौटाने में एक दिन की भी चूक पर किसी कंपनी को दिवालिया घोषित करने का प्रावधान था। उल्लेखनीय है कि अप्रैल, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक द्वारा 2018 में जारी किए गए सर्कुलर को खारिज कर दिया था। इसमें कर्ज लौटाने में एक दिन की भी चूक पर किसी कंपनी को दिवालिया घोषित करने का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के इस सर्कुलर को असंवैधानिक बताया था। आरबीआई ने 12 फरवरी, 2018 को एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि बैंकों को 2000 करोड़ रुपए और इससे अधिक के बड़े खाते के मामले में एक दिन की भी चूक की स्थिति में दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत 180 दिनों के भीतर ऋण समाधान योजना पेश करनी होगी। इसमें कहा गया था कि यदि 27 अगस्त तक की निर्धारित अवधि में कोई समाधान नहीं तलाशा जा सके तो एनपीए खातों को राष्ट्रीय कंपनी विधि प्राधिकरण के समक्ष रखा जाए।
