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बैड लोन की दूसरी लिस्ट से रूक सकता है सरकारी बैंकों का मर्जर

by admin@bremedies
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मुंबई। सरकार को अपने बैंकों के कंसॉलिडेशन प्लान को टालना पड़ सकता है क्योंकि आरबीआई ने 45 से 50 बैड लोन के मामलों का समाधान तीन महीने में निकालने को कहा है या उन्हें इस साल के अंत तक इन्हें लेकर बैंकरप्सी कोर्ट में जाना होगा। इससे कम से कम दर्जन भर सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट की हालत बहुत नाजुक हो सकती है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि जैसे ही बैड लोन के किसी मामले को नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) ले जाया जाता है, बैंकों को उसके लिए तुरंत 50 पर्सेंट प्रोविजनिंग करनी पड़ेगी। अभी इन बैड लोन के लिए बैंकों ने 25 से 30 पर्सेंट तक की प्रोविजनिंग की है। ऐसे में एनसीएलटी में जाने पर उनकी बैलेंस शीट की हालत बिगड़ सकती है। बैड लोन की समस्या का कोई रास्ता नहीं निकलता है तो बैंकों को उसके लिए बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। इस बारे में इकरा में फाइनैंशल सेक्टर रेटिंग्स के गु्रप हेड और सीनियर वाइस प्रेजिडेंट कार्तिक श्रीनिवासन ने बताया, चाहे जो भी हो, वित्त वर्ष 2018 में बैंकों की प्रोविजनिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी होगी। सरकारी बैंक बड़ी मुश्किल में फंस गए हैं। उन्हें इतना मुनाफा नहीं हो रहा है कि वे लोन सेटलमेंट के लिए घाटा बर्दाश्त कर पाएं।
आरबीआई ने इन लोन अकाउंट्स के लिए 13 दिसंबर की डेडलाइन तय की है। अगर तब तक बैंक कोई सेटलमेंट नहीं निकाल पाते तो उन्हें इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के तहत लोन रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी। आरबीआई की नई लिस्ट में विडियोकॉन इंडस्ट्रीज, उत्तम गाल्वा, रुचि सोया, वीजा स्टील, जयप्रकाश एसोसिएट्स और एस्सार प्रॉजेक्ट्स के नाम शामिल हैं।
ऐनालिस्टों का कहना है कि अब सरकारी बैंकों के कंसॉलिडेशन को ठंडे बस्ते में डालना पड़ेगा क्योंकि कोई भी बैंक किसी ऐसे बैंक को नहीं खरीदना चाहेगा, जिसके पास कम कैपिटल हो। दो साल से 7 सरकारी बैंकों को घाटा हो रहा है और 6 बैंकों पर आरबीआई ने बैंकिंग बिजनस के संबंध में कई पाबंदियां लगा रखी हैं। इसके बावजूद इस वित्त वर्ष में सरकार ने अपने बैंकों में सिर्फ 10,000 करोड़ रुपये लगाने की बात कही है।
मार्केट ऐनालिस्ट हेमेंद्र हजारी ने बताया, बैंकों को भारी प्रोविजनिंग करनी पड़ेगी। वे बहुत कम बैड लोन रिकवर कर पाएंगे। उन्होंने बताया, ऐसे वक्त में कोई भी सरकारी बैंक दूसरे बैंक को टेकओवर नहीं करना चाहेगा। आरबीआई की दूसरी लिस्ट में 2 लाख करोड़ रुपये के बैड लोन शामिल हैं। वहीं, पहली लिस्ट में 2.5 लाख करोड़ रुपये के बैड लोन शामिल थे, जिनका समाधान इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के तहत करने की कोशिश हो रही है। इकरा के श्रीनिवासन ने बताया कि सरकारी बैंकों का कामकाज और घट सकता है क्योंकि प्रोविजनिंग की वजह से उनके पास लोन ग्रोथ तेज करने की बहुत गुंजाइश नहीं बचेगी।

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