Saturday, May 24, 2025 |
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सस्ते घर का एजेंडा तैयार

by admin@bremedies
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शहरी इलाकों में लोगों को सस्ता घर उपलब्ध कराने के लिए नीति आयोग ने अपना एक्शन एजेंडा तैयार कर लिया है। आयोग का मानना है कि स्टांप ड्यूटी घटाकर और फ्लोर स्पेस एरिया बढ़ाकर ऐसा किया जा सकता है। आयोग ने ‘तीन वर्षीय ऐक्शन एजेंडा 2017-18 से 2019-20Ó के तहत केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं। नीति आयोग की एक सिफारिश यह भी है कि केंद्र और राज्य सरकारों की जो जमीनें शहरी इलाकों में बेकार पड़ी हैं, या जो अवैध कब्जे की शिकार हैं, उन्हें भी सस्ते आवास के लिए छोड़ा जाना चाहिए।
सरकारी दायरे में ऐसे उपायों पर पिछले कई महीनों से मंथन चल रहा है। अंत: इन सिफारिशों को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जारी कर दिया है। दरअसल शहरी क्षेत्रों में कम कीमत के मकान उपलब्ध कराना सरकार के लिए एक चुनौती बना हुआ है। अलग-अलग राज्यों में स्टांप ड्यूटी की दरें अलग-अलग हैं लेकिन औसतन यह देश भर में 6 से 8 फीसद के बीच है। राज्य सरकारों का कहना है कि इसमें कमी लाने से उनके खजाने पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन नीति आयोग का मानना है कि स्टांप ड्यूटी कम होने से राजस्व में कमी नहीं आती। लोग खरीदे जा रहे मकान की पूरी कीमत इसलिए नहीं दिखाते कि स्टांप ड्यूटी कम लगेगी। इससे कालेधन को बढ़ावा मिलता है। नीति आयोग का मानना है कि फ्लोर स्पेस एरिया बढ़ा देने से बिल्डरों को भी कुछ राहत मिलेगी, जिसका उपयोग मकानों की कीमत गिराने में किया जा सकता है। देखने वाली बात होगी कि इन सिफारिशों को अमल में लाने से हाउसिंग और रीयल एस्टेट बिजनस में कुछ हलचल आती है या नहीं। घर-दुकान-दफ्तर की आसमान छूती कीमतों ने मध्यम वर्ग को भी जिस तरह इनकी खरीद-फरोख्त से दूर कर दिया है, उसे देखते हुए सरकार की ओर से कोई बड़ी पहल जरूरी है। ब्याज दरों में कटौती और रेरा कानून का लागू होना पहले से ही सुस्ती के शिकार इस सेक्टर को नोटबंदी और जीएसटी से लगे झटकों की भरपाई नहीं कर पाया है। इतना तय है कि भवन निर्माण क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाए बगैर भारतीय अर्थव्यवस्था में आम लोगों का भरोसा नहीं लौटेगा, भले ही जीडीपी के आंकड़े कुछ भी कहानी कहते रहें।



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