जयपुर, (का.सं)। इण्डियन विंड पावर एसोसियेषन के राजस्थान कॉर्डिनेटर सन्तोष शर्मा ने बताया कि विंड जनरेटर्स की विभिन्न समस्याओं को लेकर सभा का आयोजन किया गया जिसमें इण्डियन विंड पावर एसोसियेषन के राजस्थान चैप्टर के अध्यक्ष राजेन्द्र व्यास, उपाध्यक्ष चन्द्रशेखर खूंटेटा, काउन्सिल सदस्य आषीष कल्ला, गौरव जैन, पुष्पेन्द्र मीणा, गोपाल ओझा एवं अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया।
राज्य विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा पवन ऊर्जा का पैसा रोका गया, कंपनियों की हालत खऱाब: अध्यक्ष राजेन्द्र व्यास ने बताया कि राज्य की तीन विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा पवन ऊर्जा कम्पनीयो का पेमेंट जारी न करने के कारण राज्य में पवन ऊर्जा कम्पनीयो की हालत खऱाब हो रही है राज्य में इस वक़्त करीब 4300 मेगा वाट क्षमता के पवन ऊर्जा सयंत्र लगे हुए है। इन पवन ऊर्जा सयंत्रो के बिजली राज्य के तीन विद्युत वितरण कंपनियों जयपुर, अजमेर और जोधपुर विद्युत वितरण निगम की ग्रिड में जाती हैं इसके लिए पवन ऊर्जा कंपनियों और विद्युत वितरण कंपनियों / राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के मध्य एग्रीमेंट हो चुके है जिनके अनुसार पवन ऊर्जा कम्पनीयो को ग्रिड में सप्लाई की गयी बिजली का पेमेंट हर महीने किया जाता है। परन्तु पिछले साल से बिजली कम्पनीया समय पर पेमेंट नहीं कर रही है जयपुर और अजमेर वितरण निगम में पिछले 4 माह अर्थात फरवरी के बाद पेमेंट नहीं किया गया है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य की पवन ऊर्जा कंपनियों का प्रदेश की तीन विद्युत वितरण कंपनियों पर करीब 950 करोड़ रूपये बकाया है।
जबकि जोधपुर वितरण निगम ने तो पिछले 10 महीने मतलब अक्टूबर से पेमेंट जारी नहीं किया गया। जून 19 तक इन पवन ऊर्जा कंपनियों का लगभग नो सो पचास करोड रूपया वितरण निगमों में अटका पड़ा है, इन रुके हुए पेमेंटो के लिए इन पवन ऊर्जा कम्पनीयो की संस्था इंडियन विंड पावर एसोसिएशन ने इसके लिए ऊर्जा विभाग के अफसरों को समय समय पर अवगत करवाया और कई बार इन कम्पनियो ने भी अपने स्तर पर विभागीय अफसरों से संपर्क किया परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ।
विभाग के अनुसार वितरण कंपनियों की वित्तीय हालत ठीक नहीं है इस लिए इन पेमेंट्स को रिलीज़ नहीं किया जा सका और आगे ये स्थति कब तक रहने वाली है कुछ कहा नहीं जा सकता। एसोसिएशन ने ऊर्जा मंत्री से भी मुलाकात की परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ। अत: वितरण निगम कंपनियों की अनदेखी के कारण इन पवन ऊर्जा सयंत्रो के साथ कई बैंको का पैसा भी खतरे में पड़ गया है क्योकि इनमे से अधिकतर सयंत्र बैंको से लोन ले कर ही लगाये गए है जिनकी किश्ते इस पैसे से ही भरी जाती है।
