नई दिल्ली। प्रख्यात अर्थशास्त्री अरविंद पनगढिय़ा ने कहा है कि अमेरिका और चीन के व्यापारिक रिश्तों में बढ़ता तनाव भारत के लिए एक अवसर की तरह है। पनगढिय़ा के मुताबिक ऐसी परिस्थितियों में भारत उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश में निवेश के लिए आकर्षित कर सकता है जो चीन के बाहर वैकल्पिक जगह की तलाश कर रहे हैं। पनगढिय़ा ने भारत से आयातित मोटरसाइकिलों एवं वाहनों पर शुल्क में कमी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में अमेरिका के साथ आदान-प्रदान को लेकर बातचीत करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से बाहर निकल रही हैं। ऐसे में यह भारत के लिए एक अवसर के समान है, बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में लाने के लिए जो कुछ किया जा सकता है वह किया जाए। ट्रंप सरकार ने पिछले साल मार्च में चीन से आयातित इस्पात एवं एल्युमीनियम उत्पादों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध शुरू हो गया। पनगढिय़ा ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों एवं भूमि अधिग्रहण से जुड़े सुधारों को अधिक उदार बनाने का आह्वान किया। जनवरी, 2015 से अगस्त, 2017 के बीच नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष रहे पनगढिय़ा ने स्वीकार किया कि आंकड़ों को स्थानीय स्तर पर रखने जैसे कुछ मुश्किल मुद्दे हैं लेकिन हार्ली डेविडसन मोटरसाइकिल जैसे मुद्दे को सुलझाया जा सकता है।
पनगढिय़ा ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका, भारत को अपने बाजार को खोलने के लिए कह रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार की आर्थिक प्राथमिकताओं को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, यह भारत के लिए अच्छी चीज है। मैं इसे एकतरफा खोल देता लेकिन यहां अमेरिका के साथ बातचीत करने का अवसर बन रहा है। उन्हें कुछ दीजिए और उसके बदले उनसे कुछ लीजिए।
