Sunday, April 20, 2025 |
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डोकलाम विवाद पर समाधान निकला

by admin@bremedies
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डोकलाम विवाद पर भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई है। गतिरोध शुरू होने के समय से ही भारत का यह स्पष्ट रुख था कि दोनों देश विवादित स्थल से अपनी-अपनी फौज हटा लें। आखिरकार इसी फॉर्मूले पर सहमति बनी। हर्ष की बात है कि इस तरह तकरीबन ढाई महीने चले इस मसले का शांतिपूर्ण समाधान निकल आया। हालांकि अपनी इज्जत बचाने के लिए चीन ने यह जरूर कहा है कि उसकी फौज डोकलाम इलाके में गश्त लगाती रहेगी, लेकिन याद रखने की बात है कि विवाद वहां सड़क बनाने को लेकर खड़ा हुआ था। चीन ये निर्माण उस स्थल पर कर रहा था, जिस पर भूटान का दावा है। भूटान से संधि में निहित अपनी वचनबद्धता के तहत भारत ने उस स्थान पर सेना भेजी। तब से चीन धमकी भरे अंदाज में कह रहा था कि भारत को वहां से एकतरफा तौर पर अपनी फौज हटानी होगी। लेकिन अंतत: दोनों देशों ने वहां से अपनी सेना को हटाने का फैसला किया। चीन के इस पर राजी होने का एक फौरी कारण शायद यह भी रहा हो सकता है कि वह अपने यहां तीन सितंबर से होने वाले ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन को इस विवाद के ग्रहण से बचाना चाहता हो। भारत इस बारे में कुछ कहने से इनकार कर रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन के लिए शियानमेन जाएंगे या नहीं! दरअसल, विवाद के जारी रहते यह संभव नहीं था कि ब्रिक्स के दो महत्वपूर्ण सदस्य देशों के नेता तनावमुक्त माहौल में एक साथ बैठकर सहजता से बातचीत कर पाते। इस कारण चीन दबाव में आया। बहरहाल, कारण चाहे जो भी हो, यह एक समझदारी भरा कदम है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा था कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। मसलों के हल अंतत: बातचीत से निकलते हैं। भारत अपने सख्त रुख के साथ-साथ प्रभावी कूटनीति से यह बात चीन को समझाने में सफल रहा। इससे फिलहाल दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा। फिर भी यह ऐसी स्थिति नहीं है कि भारत निश्चिंत बैठ सके। दो दिन पहले ही सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने आगाह किया है कि डोकलाम जैसी घटनाएं आगे भी हो सकती हैं। अभी इस बात का कोई आश्वासन नहीं मिला है कि चीन अपना भारत विरोधी रुख छोड़ देगा। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकवादियों को संरक्षण देने से लेकर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता रोकने जैसे कदमों से वह आगे बाज आएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। फिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उसकी घुसपैठ भारत के लिए स्थायी चिंता की वजह है। सीमा निर्धारण को लेकर जारी लंबे विवाद पर कोई प्रगति होती नहीं दिखती, जो दोनों देशों के बीच तनाव का बुनियादी कारण है। अत: भारत को लगातार चौकस रहना होगा। डोकलाम गतिरोध का सबक है कि अपने रुख पर अडिग रहना चीन से निपटने का सबसे कारगर तरीका है। आगे भी इसी राह पर भारत को चलते रहना चाहिए।



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