हेल्थ डेस्क। एनीमिया जिसे साधारण भाषा में खून की कमी होना भी कहते हैं, से विश्व की लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं पीडि़त हैं। भारत की स्थिति तो और भी खराब है यहां लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीडि़त हैं। यह बीमारी पुरुषों को भी हो सकती है।
डॉक्टरी भाषा में एनीमिया का मतलब है रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होना। ऐसे में रोगी का हृदय रक्त को तेजी से प्रवाहित करने की कोशिश करता है जिससे मरीज को ऐसा लगता है कि उसकी छाती में पम्पिंग हो रही है और उसका दिल तेजी से धड़क रहा है। इस अवस्था में जबकि दिल बिल्कुल ठीक होता है रोगी को जरा सा परिश्रम भी पहाड़-सा और जानलेवा लगता है।
लाल रक्त कण शरीर में आक्सीजन के वाहक भी होते हैं। हृदय के प्रयत्नों के बावजूद भी जब रक्त में लाल कणों की संख्या नहीं बढ़ती तो शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचने वाली आक्सीजन की सप्लाई में बाधा पहुंचने लगती है। आक्सीजन की कमी के चलते अनेक लक्षण उभर कर सामने आते हैं जैसे सिर दर्द, याददाश्त कमजोर होना, चिड़चिड़ापन छोटी-छोटी परेशानियों से बहुत ज्यादा नर्वस होना, बेहोशी की हालत होना।
मौटे तौर पर एनीमिया दो प्रकार का होता है। पहली प्रकार का एनीमिया पोषक आहार की कमी से होता है जबकि दूसरी प्रकार का एनीमिया गैर आहारीय कारणों से होता है। आहार में मुख्यत: लौह तत्व (आयरन) की कमी होने से यह बीमारी होती है। कुपोषण तथा खाने पीने की गलत आदतों से भी यह रोग हो सकता है। जब शरीर को आयरन कम मात्रा में मिलता है तो शरीर में फोलिक एसिड विटामिन बी तथा प्रोटीन की कमी भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में एनीमिया हो सकता है।
अकसर सिरदर्द-चिड़चिड़ापन भी हो सकता है एनीमिया
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