अब जॉब और एडमिशन के लिए एजुकेशनल सर्टिफिकेट ले जाने की जरूरत नहीं होगी। डिपॉजिटरी सर्विस प्रोवाइडर नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (एनएसडीएल) ने एजुकेशन सर्टिफिकेट्स को डीमैटीरिएलाइज करने की सुविधा शुरू कर दी है।
अब जॉब और एडमिशन के लिए एजुकेशनल सर्टिफिकेट ले जाने की जरूरत नहीं होगी। डिपॉजिटरी सर्विस प्रोवाइडर नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (एनएसडीएल) ने एजुकेशन सर्टिफिकेट्स को डीमैटीरिएलाइज करने की सुविधा शुरू कर दी है। इस क्रांतिकारी कदम से छात्रों, नियोक्ताओं और शिक्षण संस्थानों को फायदा होगा। हालांकि, एनएसडीएल की सुविधा लेने के लिए आपको एक आईडी बनानी होगी। इसके लिए आधार कार्ड उपलब्ध कराकर नो योर कस्टमर ऑथेन्टिकेशन जैसी प्रक्रिया को पूरा करना होगा। प्रक्रिया पूरी होते ही व्यक्ति को अपने शैक्षणिक सर्टिफिकेट और प्रमाण-पत्र रखने के लिए एक अकाउंट मिल जाएगा। इसके बाद आप कहीं दाखिला या जॉब लेने जाते हैं तो साथ में सर्टिफिकेट ले जाने की जरूरत नहीं होगी। आपको एनएसडीएल की आईडी और पासवर्ड याद होनी चाहिए। आप नियोक्ता के सामने या शिक्षण संस्थान में अपना डिजिटल सर्टिफिकेट चंद मिनटों में पेश कर सकते हैं। इससे सर्टिफि केट खोन या गुम होने का भी डर नहीं होगा। वित्तमंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2016-17 का बजट पेश करते हुए डिजीटल सर्टिफिकट संग्रह करने का प्रस्ताव दिया था यह भी पढ़ें : रिटर्न भर दिया हैं तो जान लें ये 6 बातेंफर्जी सर्टिफिकेट पर लगेगी लगाम विशेषज्ञों के मुताबिक एनएसडीएल का यह कदम डिजिटल इंडिया की दिशा में पारदर्शिता लाने और फर्जीवाड़ा रोकने और सुरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कदम है। अब अकादमिक डिग्रियों, अवार्डों और प्रमाणपत्रों को डिजिटल स्तर पर ही प्रमाणित किया जाएगा। इससे फर्जी सर्टिफिकेट पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। एनएसडीएल अगले तीन महीनों में इस दिशा में काम शुरू करके 2017-18 तक देश भर में नेटवर्क स्थापित कर देगा जिससे लाखो लोगों को फायदा होगा। नहीं मेंटेन करना होगा डेटाबेसशिक्षण संस्थानों के लिए इस गठजोड़ के दो फायदे हैं। पहला, एग्जाम के रिकॉड्र्स के डेटाबेस को मेंटेन नहीं करना होगा, इसकी आउटसोर्सिंग हो सकेगी। दूसरा, एडमिशंस के दौरान शैक्षणिक संस्थान हृ्रष्ठ में लॉग-इन करके स्टूडेंट्स के द्वारा हासिल किए गए नंबरों को वैरिफाई कर पाएंगे।
