Tuesday, February 11, 2025 |
Home » सूर्या हॉस्पिटल में नवजात शिशु की जटिल सर्जरी हुई

सूर्या हॉस्पिटल में नवजात शिशु की जटिल सर्जरी हुई

by Business Remedies
0 comments

बिजनेस रेमेडीज/जयपुर
बच्चों के सर्जन एंव मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दिव्य भादू ने बताया कि आजकल बच्चों की छाती की गांठो का आधुनिक अल्ट्रासाउंड से ज्यादातर माँ के पेट में ही पता चल जाता है। इनमें से कुछ गांठे सांस की नली को दबा सकती है जिससे बच्चे को (निमोनिया) फेफड़े का इन्फेक्शन या सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। गंाठ के ज्यादा बड़े होने पर बच्चे को जान का भी खतरा हो सकता है। इस दो दिन के बच्चेे की गांठ का पता मां के पेट में ही चल गया था। इसे जन्म से ही संास लेने में दिक्कत थी जिसके लिए इसको हृढ्ढष्ट टीम के द्वारा ष्टक्क्रक्क (सांस की मशीन) पर रखा गया।
मरीज जिसका पहला गर्भधारण था वह सूर्या हॉस्पिटल में डॉ. सुनीता शिशोदिया के पास तीसरे महीने में नियमित परामर्श के लिए आई थी। तब से इनका समय समय पर सारी जांचे और परामर्श हो रहा था। 20 हफ्ते पर जो इनकी 3 डी लेवल 2 सोनोग्राफी जो होती है उसमे पता चला था की बच्चे के फेंफेडें में दाईं साईड में एक गांठ है तो डॉ. सुनीता शिशोदिया ने बताया की आप घबराऐ नहीं।
सूर्या हॉस्पिटल में शिशु रोग विशेषज्ञ और बच्चों के सभी तरह के डाक्टर की सुविधा उपल्बध है इसलिए उन्होंने नियमित परामर्श करेगें। अगली बार फिर एक महीने वाद उनकी सोनोग्राफी हुई और उसमे देखा गया की स्सिट की साईज बढ़ गयी है। पर मरीज नियमित परामर्श में डॉक्टरों के साथ जुडी हुई थी और उसी समय पर बच्चों के डाक्टर से परामर्श करवा दिया गया था। मरीज की सामान्य डीलिवरी हुई
डॉ. दिव्य भादू से परामर्श लेने के बाद इसकी छाती का सी.टी. स्केन करवाया गया जिसमें पता चला कि यह गांठ सांस की बड़ी पाईप और छाती की खून की बड़ी नाडिय़ों से बिल्कुल सटी हुई थी।
3 घंटे तक चली इस सर्जरी जो कि डॉ. दिव्य भादू और एनेस्थीसिया विभाग प्रमुख डॉ. मुकेश शर्मा द्वारा करी गई, में पूरी गांठ को छाती से सांस की नली से अलग करके निकाला गया। (यह हाई रिस्क
सर्जरी होती है) सर्जरी के 12 घंटे बाद बच्चे को संास की मशीन से हटा दिया गया और ऑक्सीजन से सर्जरी के 7 दिन बाद हटाया गया।
ऑपरेशन के आठवें दिन बच्चे की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई। अब सर्जरी के 19 दिन बाद बच्चा बिल्कुल ठीक है। ऐसे केस में यह महत्वपूर्ण है कि इसका माँ के पेट से पता चलते ही बच्चों के सर्जन का परामर्श लिया जाये और पैदा होने के बाद उसका सी.टी. स्केन करके डायग्नोसिस सुनिश्चित किया जाये जिससे ऐसी बीमारी का समय रहते ईलाज किया जा सके। इस मौके पर बच्चों के विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक शिवपुरी ने बताया की सूर्या हॉस्पिटल में शिशु रोग विशेषज्ञों की पूरी टीम उपलब्ध होने की वजह से इस नवजात शिशु का सफल इलाज संभव हो पाया। इस बच्चे की गर्भवती माँ की 9 महीने तक देखभाल डॉ. सुनीता शिशोदिया द्वारा की गई। डिलीवरी के समय डॉ. एच. ऐस. भसीन ने देखभाल की और डिलीवरी के पश्चात् डॉ. दिव्य भादू द्वारा सर्जरी की गई और सर्जरी के बाद हृढ्ढष्ट टीम ने विशेष देखभाल की।



You may also like

Leave a Comment

Voice of Trade and Development

Copyright @ Singhvi publication Pvt Ltd. | All right reserved – Developed by IJS INFOTECH