Saturday, March 22, 2025 |
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एमएसएमई आयकर भुगतान अधिनियम में संशोधन से राजस्थान की गारमेंट फैक्टरियां बन्द होने की कगार पर

सांसद रामचरण बोहरा ने जयपुर गारमेंट क्लब की टीम को अधिनियम में परिवर्तन कराने का दिया आश्वासन

by Business Remedies
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बिजनेस रेमेडीज़/जयपुर। एमएसएमई आयकर अधिनियम धारा 43क्च(॥) में संशोधन के तहत जो समय पर भुगतान करने का नया नियम लागू कर रहे है इस कारण जयपुर ही नहीं राजस्थान की गारमेंट टेक्सटाइल फैक्टरियां बन्द होने की कगार पर आ रही है।
सांसद रामचरण बोहरा ने जयपुर गारमेंट क्लब के साथ सभी राजस्थान के कपड़ा व्यापारियों को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस अधिनियम में परिवर्तन की बात पेश करने और राजस्थान के टेक्सटाइल इंड्रस्टी के लिए कुछ अच्छा करने का आश्वासन दिया है।
एमएसएमई के मुताबिक आगामी एक अप्रैल से यह नियम लागू हो रहा है और अगर इस साल 31 मार्च तक वे खरीदारी का भुगतान नहीं करते हैं तो खरीदारी की रकम उनकी आय मानी जाएगी और उन्हें 30 प्रतिशत तक का टैक्स देना पड़ सकता है। गारमेंट टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े व्यापारी एमएसएमई भुगतान नियम जो परिवर्तन चाहते है वो इस प्रकार हैं।
> गारमेंट टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े एमएसएमई भुगतान नियम में 45 दिन की जगह 90-120 दिनों का समय चाहते है और इस अधिनियम को 1 वर्ष आगे बढ़ाया जाये। साथ ही छोटे और बड़े बिजऩेसमैन को जोड़ा जाये।
> चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पिछले साल एक फरवरी को पेश बजट में एमएसएमई की कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) की समस्या को दूर करने के लिए 45 दिनों के भीतर खरीदारी के भुगतान को अनिवार्य करने का नियम लाया गया था।
> आयकर अधिनियम धारा 43क्च(॥)में संशोधन के तहत, वित्तीय वर्ष 2023-2024 से स्मॉल और माइक्रो इंटरप्राइजेज को समय पर भुगतान करने का नया नियम लागू हो चुका है। नए संशोधन 43क्च(॥) के तहत यदि आपने रूस्रूश्व सप्लायर से माल खरीदा है या सर्विसेज ली है, तो इस नियम के तहत आपको उनके साथ पेमेंट एग्रीमेंट करने का प्लान अनिवार्य रूप से करना होगा, जो अधिकतम 45 दिन होगा।
> इस संशोधन के तहत अगर हम सरलता से समझे तो 31 मार्च 2024 की बेलेंस शीट में लेनदार अगर 15 फरवरी से पुराने है तो वो आपकी आय में जुड़ जाएंगे तथा उस पर आयकर लगेगा।
हालांकि यह संशोधन गत वर्ष आ गया था, लेकिन जैसे-जैसे वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है वैसे-वैसे इसको लेकर व्यापारियों में चिंता बढ़ रही है। जितने भी लघु तथा मध्यम श्रेणी के व्यापारी है उनसे लोग माल नही ले रहे है तथा जो भुगतान बाकी है वो भी जल्दी जल्दी निपटा रहे है अथवा कुछ लोग माल वापसी भी कर रहे है।
वैसे देखा जाए तो एक प्रकार से यह पेमेंट को सुचारू तथा समय पर करवाने तथा पूंजी को ज्यादा रोटेशन में लाने के लिए उत्तम है, लेकिन इसका फायदा बड़े व्यापारी जिनका टर्नओवर सालाना 50 करोड़ से अधिक है वो उठा रहे है। इस संशोधन को बड़े व्यापारी अवसर के रूप में देख रहे है, जिसका इस्तेमाल वह लोग छोटे तथा मंझले व्यापारी के व्यापार को खत्म करने के लिये कर रहे है। 50 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारी ग्राहकों को यह मैसेज भेज रहे है कि हमारा भुगतान का सिस्टम वैसे ही रहेगा जैसे पहले था, मतलब की वो उधारी देने का लुभावना ऑफर सभी को दे रहे है। चूंकि कपड़ा व्यापार क्रेडिट पर ही अधिक संचालित हो रहा है इसलिए छोटे व्यापारियों के लिए अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
जयपुर गारमेंट क्लब के अध्यक्ष दीपक जैन ने बताया कि इस सेक्शन 43(क्च) के संशोधन (॥) के बाद वर्तमान में जयपुर की फैक्ट्री के कपड़ा बाजार में ग्राहकी कम हो गई है। व्यापारियों में भय तथा असमंजसता की स्थिति बनी हुई है। हम केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय से यह आग्रह करते है कि इस वित्तीय वर्ष के लिए इस प्रावधान पर रोक लगा दी जाए तथा व्यापार सुगमता से हो सके। चूंकि यह अमेंडमेंट सम्पूर्ण सूक्ष्म तथा लघु उद्योग जगत को प्रभावित करने वाला है। अत: इसको एक बार पुन: विचार करके परिष्कृत रूप से व्यापारियों के साथ सलाह मशहूरा करके लागू किया जाए, जिससे कि छोटे व्यापारियों को अनायास ही होने वाले नुकसान से बचाया जा सके तथा व्यापार में छोटे-बड़े के वर्ग विभेद को रोका जा सके।
हाल ही अभी इंडिया में 2 बड़ी ऑल ऑवर वर्ड लेबल की एक्ज़ीबिशन लगी थी वहां पर करोड़ों रूपये के ऑर्डर बुक हुए थे, सारे ऑर्डर कैंसिल हो रहे है। वहीं राजस्थान की सभी फैक्ट्री के लाखों मजदूर बेरोजगार होते नजऱ आ रहे है।
45 दिन में जब गारमेंट तैयार ही नहीं होता तो सामने वाले वेंडर को 45 दिन में पेमेंट कहां से किया जाये।



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