नई दिल्ली। अधिक खर्च तथा राजस्व की सुस्त ग्रोथ के चलते वित्त वर्ष 2019-20 में 3.4 फीसद के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। यह आंशका मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की ओर से जाहिर की गई है। मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस के प्रबंध निदेशक (स्वायत्त जोखिम समूह) जेन फांग ने बताया कि यह तभी कम हो सकता है जब केंद्र सरकार राजकोषीय समेकन के पथ पर टिकी रहे।
राजकोषीय अनुशासन और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम में निर्धारित पथ से इतर सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.4 फीसदी पर रखा है, जबकि वास्तविक लक्ष्य 3.1 फीसदी का है। फांग ने बताया,” हालांकि सरकार का वृद्धि अनुमान तार्किक नजर आता है। हमारा मानना है कि सरकार के समक्ष राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने में चुनौतियां जारी रहेगी। यह मूल रुप से खर्च में संरचनात्मक वृद्धि तथा राजस्व बढ़ाने में दिक्कतों के कारण होगा। फांग ने आगे कहा कि मार्च 2020 को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए 3.4 फीसद राजकोषीय घाटा लक्ष्य अनुमान से अधिक है। इसका कारण मुख्य रुप से छोटे किसानों को वित्तीय मदद देने से खर्च में वृद्धि तथा कर छूट देने से राजस्व में कमी है। गौरतलब है कि वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में छोटे एवं सीमांत किसानों को प्रति वर्ष छह हजार रुपये की मदद तथा पांच लाख रुपये तक की आय को आयकर से मुक्त करने की घोषणा की गई है।
