जब से मोदीजी ने सत्ता संभाली है तब से ही विकाशीय गति देश में जोर पकडऩे लगी है। मोदी न्यू इंडिया बना रहे हैं तथा भ्रष्टाचार को समाप्त करने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहे हैं। मोदी भारत को आधुनिक बनाते हुए तकनीकी विकास कर रहे हैं। समस्त प्रकरणों में पारदर्शिता लाई जा रही है। मोदी द्वारा द्रुत गति से डिजिलिटीकरण किया जा रहा है। शहरों को स्मार्ट किया जा रहा है। आजकल शहरों में दस फीसदी लोग प्रत्येक वर्ष गांवों से आने लगे हैं। नोटबंदी, कर प्रणाली, जीएसटी, विनिर्माण, कंप्यूटर शिक्षा, टेलीलिंकï्स, आधार कार्ड्स तथा कई नई आर्थिक नीतियों का भी नव निर्माण हो रहा है। देश की सेवा, सुरक्षा, रक्षा चाक चौबंद की जा रही है। आज मोदी ने भारत की दुनिया में विशेष पैठ जमाई है। अंतरिक्ष विज्ञान में क्रांति आई है। भारत की विकासदर को भी महान गति दी है। कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाई जा रही है। जैसे गजानन पूजे जाते हैं, वैसे ही जनता का समर्थन उन्हें विश्वास से पूज भी रहा है। संसद में प्रचंड बहुमत स्पष्टत: दर्शाता है कि लोग आजकल मोदी की पूजा में लगे हैं। विकास के कारण ही जनता आज हर वर्ष उनके गुणगान कर रही है। वे भारत के लिये सुख समृद्धि लाये हैं। वैसे तो जीवन में सुख दुख आते रहते हैं, परंतु खुशियां भी आती है। मोदी विकास का वैभव बना रहे हैं। कर प्रणाली में सुधार इसी वास्ते लाये हैं कि ताकि राजकोष में वृद्धि हो देश का विकास गति पकड़े। मोदी विकास के लिये कोई आशाएं नहीं छोड़ते। वे मेहनत व ईमानदारी सोच तथा बुद्धिमानी से देश को आज विकास की गति दे रहे हैं। मोदी ने चाय बेचकर श्रम किया है। समाज में रहकर वृद्ध मां की सेवा भी की है। अच्छा सोच व श्रम ये नहीं होता कि वृद्ध मां बीमार है तो आप उसे किसी वृद्ध आश्रम में फीस देकर भर्ती करा दें। ये तात्कालिक समस्या का हल तो है, मगर अच्छी सेवा नहीं। संकट प्रतिस्पद्र्धा में मोदी सामाजिक संस्कृति में भी बदलाव ला रहे हैं जहां मेहनत के गिरेबान होते हैं जिसे भुलाया नहीं जा सकता। मोदी के परिश्रम किये जाने से ही वे आज देश के पीएम बने हैं। नित नवीनता से ही पीएम महोदय का आज ये वजूद बना है। वे देशवासियों के लिये एक नए की प्रेरणा बने हैं। इसीलिये आज उनकी लाईकिंग देश में सबसे ज्यादा है।
वर्तमान में विकास तेजी से कैसे संभव हो, इसीलिये जीएसटी लाया गया मोदी द्वारा। उत्तम सरल कर नीति से ही राजकोषीय वृद्धि संभव है। भारत में कर लगाने की परंपरा कोई नई नहीं है। देश में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों की व्यवस्था बनी हुई है। प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जिसका प्रारंभिक प्रभाव एवं अंतिम भार एक ही व्यक्ति पर होता है। इसमें आयकर, धनकर, मृत्युकर तथा उपहार आदि आते हैं। वहीं अप्रत्यक्ष कर वो होता है जिसका प्रभाव एक व्यक्ति पर लेकिन अंतिम भार दूसरे व्यक्ति पर पड़ता है। इसमें उत्पादन कर, सीमा कर, आयात कर, निर्यात कर, चुंगी कर व बिक्री कर सम्मालित होते हैं। प्रत्यक्ष कर वास्तव में उस व्यक्ति द्वारा द्वारा चुकाया जाता है जिस पर वह कानूनी रुप ये लगागा जाता है। जबकि अप्रत्यक्ष कर लगाया तो एक व्यक्ति पर जाता है, किन्तु आपसी समझौते स्वरुप होने वाले वरिवर्तन के कारण पूर्णत: या आंशिक रुप से किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा चुकाया जाता है। कर व्यवस्था से आयकर दरें प्रगतिशील ज्यादातर सभी देशों में करों की सुगमता वृद्धियों से ही राजकोषीय आय प्राप्त की जाती है जो वहां की पंूजी निर्माण को बढ़ावा देती है। हाल ही मोदी ने जीएसटी से राजकोषीय वृद्धि की है। कर नीति का सरलीकरण करते हुये बचतों को भी जोर से प्रोत्साहित किया है जो देश की अर्थव्यवस्था में पंूजी निर्माण में मदद करती है। मोदी इसीलिये भी पूजे जा रहे हैं क्योंकि वे आज देश की चिंताजनक अर्थव्यवस्था को ठीक कर रहे हैं। नई अर्थनीतियां में उन्होंने ऊर्जा डाली है। रुपये में मजबूती लाये हैं, किसानों को राहत दी है, नोटबंदी व जीएसटी कवायद की है तथा उद्योगों में सुधार व्यवस्थाएं जारी की है। जीडीपी लक्ष्य पूर्ति वृद्धियां जारी है।
अब वे रोजगार, निर्यात व उद्योगों में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। विनिर्माण व कृषि सेक्टर्स को पनपाया जा रहा है। इन दिनों विश्व में संरक्षणवाद बढ़ रहा है। अत: कुछ बाधाएं आती है, परंतु मोदी उसका समाधान भी कर रहे हैं। स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया मेकअप इंडिया को आशातीत गतियां दी जा रही है। निर्यात में भी मोदी अब और विकास के नए लक्ष्यों को तरजीह दे रहे हैं ताकि आर्थिक कारगर कदमों से सफलता मिल सके। मोदी ने कच्चे तेल वास्ते भी अमेरिका की ओर अब रुख किया है। ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अमेरिका अब भारत का प्रमुख सहयोगी बन सकता है। भारत अभी ८५ फीसदी क्रूड ऑयल का कच्चा तेल आयात करता है। अमेरिका से भारत ने अभी ही १०० मिलियन डॉलर मूल्य का दो मिलियन बैरल कच्चा तेल क्रय किया है। भारत ने कनाड़ा से भी आयात किया है। अब खाड़ी देशों की बजाय मोदी अमेरिका से अधिक व्यापार पर जोर दे रहे हैं। भारत का अमेरिका के साथ २१ अरब के सरप्लस का व्यापार है। चीन के साथ ३६५ अरब डॉलर का व्यापार है अमेरिका का। अभी अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा घाटा खा रहा है व्यापार में जो तकरीबन ८०० अरब डॉलर का है। अत: भारत व अमेरिका यहां भी सुधार लाना चाह रहे हैं।
