नई दिल्ली/एजेंसी। कालेधन के खिलाफ अभियान के तहत इनकम टैक्स विभाग की नजर प्रॉपर्टीज में ऐसे लोगों की ओर से किए गए निवेश पर टिक गई है, जिन्होंने अब तक इनकम टैक्स रिटर्नस दाखिल नहीं किए हैं। टैक्स अधिकारी अब ऐसे लोगों के खिलाफ बड़ा कदम उठाने के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें शक है कि यह बेनामी संपत्ति का मामला हो सकता है।
इनकम टैक्स ऑफिशियल के अनुसार हमारे पास कई स्रोतों से जानकारी आई है। इनमें ऐसे लोगों का आंकड़ा भी है, जिन्होंने कभी भी रिटर्न फाइल नहीं किया और प्रॉपर्टी में निवेश किया है। इन प्रॉपर्टीज को खरीदने में इस्तेमाल की गई रकम के स्रोत का पता लगाने के लिए डेटा खंगाला जाएगा और यह देखा जाएगा कि जिन लोगों के पास ये प्रॉपर्टीज हैं, वे इनके असल मालिक हैं या नहीं। वहीं एनफोर्समेंट का एक्शन उन्हीं मामलों में लिया जाएगा, जिनमें ठोस सबूत होंगे। उन्होंने कहा कि दूसरे मामलों में टैक्स अधिकारी संबंधित व्यक्ति को परेशान किए बिना जांच करेंगे। कुछ मामलों में खरीदी गई प्रॉपर्टीज घोषित इनकम से कहीं ज्यादा हैं, तो कुछ अन्य में इनकम टैक्स रिटर्न ही फाइल नहीं किया गया है। टैक्स चोरों को पकडऩे के लिए अधिकारी डेटा एनालिटिक्स का सहारा ले रहे हैं और वे अब इन्हें दबोचने के लिए कई स्रोतों से मिले आंकड़ों का अच्छी तरह इस्तेमाल करने लगे हैं। लोगों के खर्च और निवेश के आंकड़ों को कई स्रोतों से हासिल कर उनका प्रोफाइल बनाया जा रहा है और रिटर्न में उनकी ओर से घोषित आमदनी से उसका मिलान किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार ऑपरेशन क्लीन मनी के दूसरे दौर में 5.5 लाख से ज्यादा लोगों की पहचान की जा चुकी है। ये ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपनी घोषित आमदनी से कहीं ज्यादा कैश डिपॉजिट किया है। नोटबंदी के बाद कई लोगों के प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त करने की रिपोर्ट्स भी अधिकारियों के पास हैं।
