तेहरान/एजेंसी- ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि उनकी नई सरकार की विदेश नीति की शीर्ष प्राथमिकता अमेरिका द्वारा परमाणु समझौते को तोड़े जाने से बचाना है।
रूहानी ने संसद में कहा कि हमारे विदेश मंत्री का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है सबसे पहले जेसीपीओए के साथ खड़े रहना, और अमेरिका तथा दूसरे दुश्मनों को सफल न होने देना। कैबिनेट में मंत्रियों के चुनाव के अंतिम दिन की चर्चा में उन्होंने कहा कि जेसीपीओए के लिए खड़े होने का मतलब है ईरान के दुश्मनों का सामना करना। रूहानी ने एक हफ्ते पहले संकेत दिया था कि अगर अमेरिका नए प्रतिबंध लगाना जारी रखता है तो ईरान परमाणु समझौते से बाहर हो जाएगा।
तेहरान के मिसाइल परीक्षण करने और वॉशिंगटन के नए प्रतिबंध लगाने के बाद बन रहे दबाव के बाद उनकी यह टिप्पणी आई है। दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहे हैं। रूहानी अपनी मंत्री पसंद पर विश्वास मत से पहले सांसदों को संबोधित कर रहे थे। राजनीतिक उदारवादी रूहानी ने मई में हुए चुनाव में शानदार जीत के बाद इस महीने के शुरू में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की थी। इससे पहले कुछ दिनों पहले ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि था अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर साथ करने के मामले में अमेरिका विश्वासपात्र देश नहीं है।
ईरान की संसद में शपथ ग्रहण समारोह में अपने संबोधन में रूहानी ने परमाणु करार तोडऩे की धमकी को लेकर अमेरिका की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि इस्लामी गणराज्य अंतर्राष्ट्रीय परमाणु करार का पालन करेगा और दो साल पहले ईरान और छह प्रमुख शक्तियों के बीच हुए परमाणु करार का उल्लंघन नहीं करेगा।
रूहानी ने कहा कि हालांकि, ईरान करार के कार्यान्वन को लेकर अमेरिका की किसी भी धमकी पर चुप नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि ईरान इस मामले में अमेरिका के हर प्रतिबंध और हर खतरे का माकूल जवाब देगा। ईरानी राष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग करार तोडऩे के बारे में सोच रहे हैं, उन्हें खुद अपने राजनीतिक जीवन में इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया अब अमेरिका भरोसा नहीं करेगी।
रूहानी ईरान के साथ हुए परमाणु करार को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान की गई ट्रंप की टिप्पणियों की ओर इशारा कर रहे थे। ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान समझौते की बार-बार आलोचना की थी और उसे अब तक का सबसे खराब करार कहा था।
