जोखिम और प्रतिफल को ध्यान में रखते हुए कंपनियों का वर्गीकरण किया जा सकता है। ऐसे वर्गीकरण में कंपनियों के बाजार के पूंजीकरण को आधार बताया जाता है। ५ हजार करोड़ रुपये आस्र उससे अधिक पंूजीकरण की कंपनियों को लार्जकैप, ५०० करोड़ रुपये से ४,९९९ करोड़ रुपये के मध्य के पूंजीकरण की कंपनियों को मिडकैप और ५०० करोड़ से नीचे के पूंजीकरण की कंपनियों को स्मालकैप के वर्ग में शुमार किया जाता है। मिडकैप कंपनियों के शेयर BSE 200 और Midcap Nifty junior सूचियों में दर्शाये गये हैं।
लार्जकैप कंपनियों के शेयरों में निवेश में जोखिम मिडकैप कंपनियों में अपेक्षाकृत कम रहती है और प्राय: अच्छा प्रतिफल मिल जाता है। ये कंपनियों सुस्थापित होती हैं और इनका लंबी अवधि का रिकार्ड उत्तम होता है तथा इनके शेयरों में विचलन भी अपेक्षाकृत कम रहता है। बाजार में भारी संंशोधन या मंदी के संकट के समय इन कंपनियों के शेयर्स अपेक्षाकृत कम टूटते हैं और अनुकूल परिस्थितियों में वे शीघ्र ही अपनी खोयी हुई स्थिति को पुन: प्राप्त कर लेते हैं। इन कंपनियों के शेयरों का बाजार मूल्य अपने ही क्षेत्र की अन्य मिडकैप कंपनियों के शेयरों की तुलना में सदैव ही अधिक रहता है और इनका पी.ई. अनुपात बहुत ऊंचा होता है। तरलता के पैमाने पर ये शेयर उत्तम समझे जाते हैं। संस्थागत निवेशक और म्यूचुअल फंडस प्राय: ऐसी ही कंपनियों में निवेश करना पसंद करते हैं।
यद्यपि मिडकैप कंपनियों में लार्जकैप कंपनियों की तुलना में कई कमियां और दोष होते हैं, फिर भी ये कंपनियों अपनी कुछ विशेषताओं के कारण अधिक जोखिम लेकर प्रतिफल की आशा रखने वाले निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहती हैं। इनके प्रबन्धक अत्यधिक महत्वाकांक्षी, उत्साही, कर्मशल,दूरदर्शी और प्रथम पीढ़ी के प्रोफेशनल उद्यमी होते हैं। ये कंपनियां अधिक तेजी से अपना विस्तार करती हैं और नवीनतम तकनीकों के अधिकाधिक प्रयोग द्वारा मानवश्रम को कम करते हुए अपने उत्पाद या सेवा का मूल्य घटाने तथा लाभ को बढ़ाने के प्रति बहुत सक्रिय और सजग रहती हैं। साथ ही ये अपने उत्पाद या सेवा में गुणवत्ता को बढ़ाने तथा नवीनता लाने के प्रति भी बहुत प्रयत्नशील रहती हैं। अत: ये कंपनियां रूपान्तरण की प्रक्रिया में होती हैं तथा अपनी पुनर्रचना में भी तेज रहती हैं। इन कंपनियों के शेयर्स प्राय: ग्रोथ स्टॉक्स के नाम से पुकारे जाते हैं। संस्थागत निवेशकों और म्यूचुअल फंडस द्वारा उनका पीछा न किये जाने के कारण इनके शेयरों में लार्जकैप कंपनियों के शेयरों की अपेक्षाकृत तरलता कम और विचलन अधिक होता है। इनके लगातार उत्तम कार्य परिणामों के परिणाम स्वरूप जब बाजार का ध्यान इनकी ओर आकर्षित होने लगता है तो इनके मूल्यों में तेजी से वृद्धि होने लगती है। वर्तमान की कई मिडकैप कंपनियों में भविष्य में लार्जकैप कंपनियां बनने की संभावनाएं छिपी होती है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में डॉ. रेड्डी लेबोरेट्टीज, इंफोसिस टेकनोलॉजी, टेक महिन्द्रा, विप्रो, भारतीय एयरटेल आदि मिडकैप कंपनियों ने अपनी निरंतर ग्रोथ और उच्च लाभ प्रदत्ता की बदौलत इक्कसवीं शताब्दी के प्रथम दशम में अग्रणी लार्जकैप कंपनियों में तबदील होने में सफलता प्राप्त की।
यह प्राकृतिक अवधारणा है कि छोटा बच्चा बड़े व्यक्ति की अपेक्षा तेजी से बढऩे की क्षमता रखता है। छोटे आकार में बड़े आकार की अपेक्षा वृद्धि की संभावना अधिक रहती है। यह अवधारणा मिडकैप कंपनियों के मामले मेें भी लागू की जा सकती है। भारत ने केवल बड़ा देश है बल्कि एक बड़ा बाजार भी है और इसकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही हैं। अत: यहां अच्छे प्रबंधन वाली मिडकैप कंपनियों को अच्छे अवसर सुलभ हो जाते हैं। बड़े अवसर साहसी, उत्साही व अज्ञात उद्यमियों का इंतजार करते हैं।
जागरूक निवेशक को ऐसी मिडकैप कंपनियों की सतत तलाश करते रहना चाहिए जिनके शेयर्स में सेंसेक्स से भी अधिक लाभ अर्जन करने की क्षमता हो और जिनका पी.ई. अनुपात बहुत कम हो। ऐसे शेयरों में जोखिम भले ही कुछ अधिक हो परंतु ये उच्च प्रतिफल की दृष्टि से बहुत आकर्षक होने चाहिए। इस तरह के निवेश लंबे समय के निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं, क्योंकि लंबे समय के लिए इनमें किया गया निवेश प्राय: लार्जकैप के निवेश से भी अधिक प्रतिफल दे देता है। मिडकैप कंपनियों के शेयर्स सस्ते होने के कारण उनसे प्राप्त होने वाले लाभांश का प्रतिफल लार्जकैप कंपनियों के शेयरों से प्राप्त होने वाले प्रतिफल से सदैव ही अधिक होता है। अच्छे प्रबंधन और वृद्धि वाली मिडकैप कंपनियों देर-सवेर अपनी लाभप्रदत्ता के रिकार्ड के बलबूते बाजार में अपने उच्च मूल्यांकन में सफल हो जाती हैं।
मिडकैप कंपनी के चयन में बेहद शोध और सावधानी की जरूरत होती है। उसके आधारभूत तथ्यों को गहराई से जांचा-परखा जाना चाहिए। निवेश के पूर्व कंपनी के प्रबंधन और उनकी विश्वसनीयता का भी पता लगा लिया जाना चाहिए। मिडकैप शेयरों में निवेश के मामले में hot tips के आधार पर भेड़ चाल में शामिल होने के स्थान पर स्वयं के पुख्ता विश्लेषण के आधार पर की गई शोध को ही महत्व दिया जाना चाहिए।
उन मिडकैप कंपनियों को तरजीह दी जानी चाहिए जिनमें भविष्य में ऊंची वृद्धि-दर प्राप्त करने की क्षमता हो, पेशेवर विश्लेषकों के द्वारा जिनकी व्यापक रूप से जॉच-पड़ताल कर ली गई हो और जिनमें जोखिम अपेक्षाकृत कम हो तथा तरलता अधिक हो।
निवेशक को उत्तम प्रतिफल की प्राप्ति के लिए अपने पोर्टफोलियो को संतुलित बनाना चाहिए। उसे सुरक्षा व अच्छे प्रतिफल की प्राप्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अपने समस्त निवेश के लगभग ७० प्रतिशत भाग को लार्जकैप के blue chips में और शेष ३० प्रतिशत भाग को बहुत सावधानी, होशियारी और कुशलता से मिडकैप शेयरों में निवेश करना चाहिए, ताकि जोखिम को बहुत अधिक ने बढ़ाते हुए उत्तम प्रतिफल प्राप्त किया जा सके। मिडकैप शेयरों में निवेश के लिए प्रतिगामी रणनीति का अनुसरण किया जाना चाहिए। मजबूत आधार वाली और अच्छा मुनाफा कमाने वाली उपेक्षित कंपनियों में निवेश किया जाना चाहिए और उन्हें अपनी ग्रोथ और निष्पादन के आधार पर बाजार में अपने अंतर्निहित मूल्य को अभिव्यक्त करने का पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। इस मामले में धैर्य की महत्ती आवश्यकता होती है। सुरक्षात्मक दृष्टि से ऐसे निवेश के पश्चात कंपनी के हर तिमाही वित्तीय निष्पादन पर पैनी नजर रखी जानी चाहिए।
वर्ष २००६ लार्जकैप कंपनियों के लिए बहुत ही अच्छा रहा। बीएसई सेंसेक्स ने नई ऊंचाईयों को छूते हुए ४६.७० प्रतिशत प्रतिफल दिया। इस वर्ष विदेशी संस्थागत निवेशकों और म्यूचुअल फंडस का अत्यधिक धन बाजार में निवेश के लिए आया और उसने लार्जकैप शेयर्स की मांग और पूत्ति के मध्य में भारी अंतर पैदा कर दिया, जिससे इनके भावों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। इनका अधिकांश निवेश लार्जकैप काउण्टर की झोली में गया। लार्जकैप शेयर्स ही उनकी ऑखों के तारे बने रहे। उन्होंने भावों की अपेक्षा सुरक्षा और तरलता को प्राथमिकता दी। इस असाधारण प्रदर्शन के कारण निवेश पर मिलने वाले प्रतिफल के आधार पर भारतीय बाजार दुनिया के १६ बड़े बाजारों में अपना स्थान बनाने में सफल रहा।
निवेशकों को यह बात अवश्य ही ध्यान में रखनी चाहिए कि २००६ में लार्जकैप कंपनियों के शेयर के निवेश पर मिले अनूठे और अप्रत्याशित प्रतिफल को हर वर्ष दोहराया जाना संभव नहीं होती है। लार्जकैप कंपनियों के शेयर बहुत महंगे हो जाने पर संस्थागत निवेशकों और म्यूचुअल फंडस का ध्यान मिडकैप की अच्छी कंपनियों की ओर भी जाता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था को बुलंदियों तक पहुंचाने वाले कई क्षेत्रों में यद्यपि लार्जकैप कंपनियों का दबदबा है, परंतु उनके उपक्षेत्रों या खण्डों में मिडकैप कंपनियों का वर्चस्व है। उदाहरण के लिए ऑटोमोबाईल क्षेत्र के एन्सिलरी खण्ड में मिडकैप कंपनियों ने सस्ते और उत्तम गुणवत्ता वाले कलपुर्जों के निर्माण में महारथ हासिल कर रखी है। उन्होंने निरंतर बढ़ती हुई घरेलू मांग की पूर्ति के अलावा निर्यात में भी उल्लेखनीय भूमिका निभायी है और बढ़ती हुई विदेशी मांग को पूरा करने के लिए विदेशों में प्लाण्टस अधिग्रहण करने की दौड़ में भी वे शामिल हो गई हैं। वित्तिय सेवा क्षेत्र में गैर-बैंकिंग कंपनियों के गृह और ऊर्जा ऋण खण्डों तथा उर्जा उत्पादन क्षेत्र के पारेषण खण्ड में भी मिडकैप कंपनियों का ही बोलबाला है और उनका कार्य निष्पादन नि: सदेह ही प्रशंसनीय है।
भारत की ग्रोथ-ग्राथा से निवेशक चकाचौंध हैं और इसमें हिस्सेदारी हासिल करने के लिए वे उतावले भी है। उनके लिए मिडकैप कंपनियों के शेयर असीम संभावनाएं लिए हुए है।
