नई दिल्ली/एजेंसी। नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने आम्रपाली ग्रुप की सिलिकॉन सिटी को इनसॉल्वेंसी एक्ट के तहत दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। फंड से जूझ रही बिल्डर कंपनी आम्रपाली के खिलाफ बैंक ऑफ बड़ौदा की याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्राइब्यूनल ने यह आदेश दिया है। यही नहीं ट्राइब्यूनल ने डेलॉइटे के राजेश शर्मा को इनसॉल्वेंसी रिजॉलूशन प्रफेशनल के तौर पर अनिल शर्मा के स्वामित्व वाली कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में लेने का आदेश दिया है। जेपी इन्फ्राटेक के बाद आम्रपाली दूसरी ऐसी बड़ी रियल एस्टेट कंपनी है, जो दिवालिया घोषित किए जाने के कगार पर है। माना जा रहा है कि आम्रपाली के सिलिकॉन वैली प्रॉजेक्ट में निवेश करने वाले लोग इनसॉल्वेंसी ऐक्ट के तहत कार्रवाई का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। इस कानून के तहत कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के दौरान इनसॉल्वेंसी प्रफेशनल के हाथ में प्रबंधन और काम रहता है। वह कर्जदाताओं के साथ मिलकर काम करता है और संपत्तियों को बेचने पर काम करता है। किसी कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया 180 दिनों तक चलती है। इसके प्रक्रिया को बाद में जरूरत पडऩे पर अधिकतम 90 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने 56 करोड़ रुपये के बकाये को लेकर इनसॉल्वेंसी ऐक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की थी। आम्रपाली ग्राहकों को तय समय में फ्लैटों को पजेशन देने में असफल रही है। इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी का भी आम्रपाली पर बकाया है, वहीं बैंकों के भी 155 करोड़ रुपये बकाया हैं।
