Tuesday, March 25, 2025 |
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इन्दिरा आईवीएफ ने जटिल शल्य प्रक्रिया कर बचायी प्रेगनेंसी

by admin@bremedies
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शादी के 11 साल बाद हुआ था गर्भधारण

उदयपुर। माँ कहलाना हर महिला का सबसे बड़ा सपना होता है और यह सुख किसी महिला को शादी के 11 साल बाद दो संतानों के रूप में मिले तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं होगा लेकिन जब उसे पता चले कि उसकी कोख में पल रहा भू्रण अस्वस्थ है और गर्भ बिगड़ सकता है तो उस पर क्या बीतेगी, ऐसा ही कुछ हुआ चन्द्रमा के साथ लेकिन उदयपुर के इन्दिरा आईवीएफ हॉस्पीटल ने एक जटिल शल्य प्रक्रिया कर प्रेगनेंसी को आगे बढ़ाया है जिससे स्वस्थ संतान का जन्म हो सकेेगा।
इन्दिरा आईवीएफ गु्रप के चैयरमेन डॉ. अजय मुर्डिया ने बताया कि वैशाली, बिहार की रहने वाली चन्द्रमा कुमारी पत्नी मुकेश चौधरी को शादी के 11 साल बाद गर्भधारण हुआ, चन्द्रमा की खुशी दुगुनी इसलिए भी थी कि उसकी गर्भ में दो बच्चे (फिटस) पल रहे थे लेकिन 16वें सप्ताह पर सोनोग्राफी में पता चला कि एक फिटस अस्वस्थ है उसके पेशाब की नली में गांठ है, मामले की गंभीरता को देखते हुए मरीज को इन्दिरा आईवीएफ उदयपुर में रेफर किया गया। यहाँ पर फिटल मेडिसीन स्पेश्यलिस्ट डॉ. विपिन चन्द्रा ने सोनोग्राफी के बाद पाया कि फिटस में खराबी काफी आगे बढ़ गयी है और जिससे स्वस्थ फिटस को भी नुकसान हो सकता है ऐसे में इसे विकसित होने से रोकना चाहिए और शल्य प्रक्रिया के माध्यम से उसे गर्भ में विकसित होने से रोक दिया गया, जिससे स्वस्थ फिटस आसानी से जन्म ले सके।
डॉ. विपिन में बताया कि एक फिटस तो पूर्णतया स्वस्थ था लेकिन दूसरे की पेशाब की नली में बाधा थी जिससे थैली बड़ी होकर पूरे पेट में फैल रही थी, किडनी भी काफी फुल रही थी और उन पर दबाव आ रहा था, रीड की हड्डी का निचला हिस्सा बना हुआ ही नहीं था जिसकी वजह से मस्तिष्क का काफी भाग नीचे की ओर आ गया था (अरनोल्डविआरी मालफोरमेशन) । फिटस में पैशाब की थैली ने पूरे पेट में जगह ले ली थी, जिसकी वजह से स्वस्थ फिटस पर दबाव पड़ रहा था और दो फिटस होने की वजह से गर्भाशय का मुँह खुलने लगा था । इस तरह की संतानों को डिलीवरी के बाद बचा पाना मुश्किल होता है, स्वस्थ फिटस को बचाकर प्रेगनेंसी को 9 महीने तक ले जाने के लिए अस्वस्थ फिटस को हटाना जरूरी था लेकिन 18 हफ्ते के फिटस को हटाने में काफी समस्या आती है । चूंकि गर्भधारण काफी वर्षो बाद हुआ था इसलिए स्वस्थ फिटस को डिलीवरी तक पहुंचाना भी जरूरी था ऐसे में दूसरे फिटस को विकसित होने से रोकने का निर्णय लिया गया, स्वस्थ फिटस का एम्नियोसेन्टेसिस करके उसके गुणसूत्रों की जांच के लिए भेजा गया है और अस्वस्थ भ्रूण का फिटल रिडक्शन किया गया है। अभी गर्भस्थ महिला पूर्णरूप से स्वस्थ है।
उपचार के बाद दम्पती काफी खुश दिखाई दिये, इन्दिरा आईवीएफ को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि जब उन्हें पता चला कि गर्भ में पल रहे फिटस में समस्या है तो गर्भपात का डर सता रहा था लेकिन यहाँ के डॉक्टर और उनकी टीम के ईलाज के बाद स्वस्थ फिटस बिना किसी समस्या के जन्म लेगा इस बात को लेकर वे काफी उत्साहित हैं।



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