भारत और भूटान में पुराना और विशेष संबंध है, जो सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक संबंधों के आधार पर निर्मित है। दोनों देशों के बीच सहयोग और सामंजस्य का एक पुराना इतिहास रहा है। भूटान अपनी सीमित भौगोलिक क्षमता के बावजूद दक्षिण एशिया क्षेत्र में ‘रणनीतिक और सामरिक रूप’ से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भूटान विशेषकर दक्षिण एशिया क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग और स्थिरता के प्रयासों में भारत के लिए प्रमुख भागीदार रहा है। चीन के साथ भूटान के सीमा विवाद और भारत के साथ उसके संबंध हाल में सुर्खियों में रहे हैं, जहां भूटान अपने क्षेत्रीय विवादों को लेकर चीन के साथ वार्ता में संलग्न रहा है। इसके अलावा भारत-भूटान सीमा के नजदीक चीन की ओर से लगातार जरिया अतिक्रमण के प्रयासों ने भी नई चुनौतियां पैदा की हैं। वर्ष, 2017 का डोकलाम बॉर्डर विवाद ज्यादा पुराना नहीं है, जब चीन, भूटान और भारत की त्रिकोणी सीमा पर स्थित कुछ क्षेत्रों में चीन ने अनावश्यक रूप से अतिक्रमण करने का प्रयास किया था, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने आगे आकर चीन की इस गतिविधि को सीधे तौर पर रोका। चीन का प्रयास था कि भूटान की कमजोर सैनिक स्थिति का लाभ उठाकर वह बॉर्डर क्षेत्र में नए अतिक्रमण का प्रयास करे, जैसा कि आमतौर पर दक्षिण एशिया और दक्षिण चीन सागर में उसकी नीति रही है। डोकलाम विवाद में भारत ने एक परिपक्व और सजग नीति का परिचय देते हुए चीन का प्रतिरोध किया। वहीं कुछ दिनों पहले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय भूटान यात्रा ने दोनों देशों के बीच नई राजनीतिक समझ और आर्थिक साझेदारी की दिशा में कई महत्वपूर्ण समझौते पर सहमति बनी है। पिछले एक दशक में मोदी सरकार की पड़ोसी प्रथम की नीति के आधार पर भारत सरकार ने अपने सभी निकटतम पड़ोसी देश जैसे भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका के साथ बेहतर सहयोग और सामंजस्य पर बल दिया है। इस दिशा में न सिर्फ रणनीतिक और राजनीतिक साझेदारी पर काम हुआ है बल्कि नए क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग को बढ़ाने पर विशेष जोर डाला गया है। भूटान-भारत संबंधों में निरंतरता बनी हुई है। जिसका आधार प्रधानमंत्री मोदी की अगस्त, २०१९ में भूटान यात्रा के दौरान हुए सहयोग और समझौतों की सफलता में है। पिछले एक वर्ष में दोनों देशों के बीच बेहतर राजनीतिक संवाद और आर्थिक सहयोग देखने को मिला है। पीएम मोदी की पिछले महीने ही भूटान राजकीय यात्रा ने द्विपक्षीय सहयोग के नए बिंदुओं को गति दी है।
भारत व भूटान के बीच बढ़ती राजनीतिक समझ और आर्थिक साझेदारी
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