लंदन/एजेंसी- वैज्ञानिकों के मुताबिक शुरूआत में रोग का पता नहीं चल पाने के चलते भारत स्तन कैंसर की महामारी की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को इस बारे में जागरूक करना महिलाओं को जल्द मदद मांगने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
जानकारी के अनुसार यह शोध भारत में स्तन कैंसर पर गौर करने के लिए अपनी तरह का पहला है. इसमें पाया गया है कि सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों का यह मतलब है कि स्वास्थ्य सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच नहीं है।
महिलाएं पुरूष चिकित्सकों से परामर्श लेने के प्रति अनिच्छुक होती हैं। वे पारिवारिक दायित्वों के चलते अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करती हैं और मेडिकल मदद के लिए परिवार के अन्य सदस्यों पर निर्भर होती हैं। इन सभी चीजों से रोग का समय रहते पता नहीं चल पाता है।
ब्रिटेन के पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि पांरपरिक मार्केटिंग अभियान रोग के बारे में जागरूकता नहीं फैलाते और सामुदायिक नर्सेें सबसे प्रभावी माध्यम हैं।
ध्ययन में कहा गया है कि इस सिलसिले में ‘आशा’ सबसे प्रभावी माध्यम है। वहीं, जागरूकता फैलाने के लिए स्कूल दूसरा सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। तीसरा माध्यम मीडिया है। गौरतलब है कि साल 2012 में स्तन कैंसर से 70,218 भारतीय महिलाओं की मौत हुई। वहीं, साल 2020 में यह संख्या बढ़ कर 76,000 होने का अनुमान है।
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