मुंबई। देश के सूक्ष्म वित्त पोषण क्षेत्र को अपनी वृद्धि योजनाओं के तहत अगले तीन साल में 6-9 हजार करोड़ रुपये की जरूरत पड़ सकती है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है। इस क्षेत्र ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 25 प्रतिशत की दर से वृद्धि की है।
इक्रा ने कहा कि इस क्षेत्र की वृद्धि का परि²श्य अच्छा बना हुआ है और चालू वित्त वर्ष में इसके 20-22 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया, कि इस क्षेत्र को अपनी वृद्धि योजनाओं को पाने के लिए वित्त वर्ष 2020-21 तक छह से नौ हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसके मुताबिक निवेशकों का इस उद्योग को लगातार समर्थन मिल रहा है। वित्त वर्ष 2017- 18 में इस उद्योग में 4,061 करोड़ रुपये का इक्विटी योगदान दिया गया। इससे पहले 2016- 17 में 6,570 करोड़ रुपये का योगदान किया गया। इसमें से 87 प्रतिशत पूंजी क्षेत्र के शीर्ष 10 ऋणदाताओं को उपलब्ध कराई गई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सूक्ष्मवित्त क्षेत्र वार्षिक आधार पर 25 प्रतिशत बढक़र 2.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। क्षेत्र में बेहतर संग्रह क्षमता, क्षेत्र को निवेशकों का लगातार समर्थन मिलने, कोष की उपलब्धता तथा सूक्ष्म ऋण के लिये मांग बने रहने का इसमें योगदान रहा। पहली तिमाही के दौरान सूक्ष्म वित्त उद्योग को संपत्ति गुणवत्ता में सुधार देखने को भी मिला।