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आईसीएच ने सीएमएआई एवं जीईएआर के साथ मिलकर अपने राष्ट्रव्यापी मास्टरक्लास अभियान का पहला चरण पूरा किया

‘अनलॉक बिजनेस सक्सेस थू्र इन-डेप्थ रिसर्च’ का उद्देश्य है परिधान निर्माताओं/ब्रांडों को फैशन फोरकास्टिंग के जरिये सशक्त बनाना

by Business Remedies
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बिजऩेस रमेडीज/जयपुर

भारत के एकमात्र स्वदेशी फैशन फॉरकास्टर आईसीएच नेक्स्ट ने अपने राष्ट्रव्यापी मास्टरक्लास अभियान ‘अनलॉक बिजनेस सक्सेस थू्र इन-डेप्थ रिसर्च’ के पहले चरण का सफलतापूर्वक समापन किया। क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) और गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जीईएआर) के सहयोग से आईसीएच नेक्स्ट द्वारा आयोजित जयपुर मास्टरक्लास में फैशन एवं अपैरल इंडस्ट्री के मौजूदा निर्माताओं, ब्रांड एवं अन्य हितधारकों ने सक्रिय भागीदारी की। ‘अनलॉक बिजनेस सक्सेस थू्र इन-डेप्थ रिसर्च’ अपनी तरह की पहली शुरुआत है, जिसका उद्देश्य अपैरल/ लाइफस्टाइल ब्रांड और निर्माताओं को सीधा लाभ पहुंचाना है। इस पहल के तहत विनिर्माण क्षेत्र में रिसर्च के महत्व पर जोर देने वाली मास्टरक्लास की सीरीज देश भर के अलग-अलग शहरों में आयोजित की जाएगी। इस मास्टरक्लास में कोटफैब इंडिया, किरन मोड्स, गुडविल इम्पेक्स,जयपुर रग्स जैसे उल्लेखनीय ब्रांड/अपैरल निर्माता आदि महत्वपूर्ण हस्तियां शामिल थीं।

मास्टरक्लास के बारे में आईसीएच की सह-संस्थापक कनिका वोहरा ने कहा कि हम मास्टरक्लास में अपनी भागीदारी तथा ब्रांड/निर्माताओं के प्रश्नों से रोमांचित थे। निर्माताओं में कुछ नया करने की उत्सुकता के साथ-साथ वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर सटीक फैशन-फोरकास्टिंग कर पर्यावरण अनुकूल विनिर्माण प्रक्रिया केजरिये उत्पाद -बिक्री में बढ़ोत्तरी और वेस्टेज को कम करना है। इसके अलावा, किस तरह के रंग पैलेट, प्रिंट, सिल्हूट या फैब्रिक उपभोक्ताओं को पसंद आएंगे, ये ऐसे सवाल हैं जिसे जयपुर और अन्य जगहों के निर्माता डिकोड करने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन अंत में वे अपनी गट-फीलिंग पर ही भरोसा करते हैं। हमें खुशी है कि हम रिसर्च-बेस्ड डेटा के साथ ब्रांड/निर्माताओं के ऐसे सभी सवालों का जवाब देने में सक्षम थे।

रिसर्च  और फोर कास्टिंग की अवधारणा के बारे में विस्तार से बताते हुए कनिका ने कहा कि बेकार विनिर्माण और डिस्काउंट कम करने के लिए जागरूक निर्माण की दिशा में रिसर्च – आधारित ऑन-ट्रेंड डिजाइन का विचार सबसे अच्छा विकल्प है। लगातार बदल रही उपभोक्ता प्राथमिकताओं के मद्देनजर, निर्माता/ब्रांड भी जब गहन रिसर्च  और सटीक फोरकास्टिंग के साथ उत्पादन करेंगे, तो उपभोक्ताओं को सही समय पर सही उत्पाद मिलेगा और इंडस्ट्री में इसके बेहतर परिणाम मिलेंगे।

इस बारे में क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) के राहुल मेहता, मुख्यमार्ग दर्शक,ने कहा, कि डीप रिसर्च एंड फॉरकास्ट की आईसीएच नेक्स्ट की यह मेथडोलॉजी प्रचलित कंज्यूमर सेंटिमेंट की पहचानकर, ग्राहक जो चाह रहा है उसके प्रति उत्पादन को प्रोत्साहित करता है। हम इस पहल का हिस्सा बन कर उत्साहित हैं जो कपड़ा-निर्माताओं को उपभोक्ताओं की नब्ज पकड ऩे की दिशा में सशक्त बनाकरअच्छे उत्पादन के लिए सहायता और बढ़ावा देता है, जिससे नुकसान को कम-से-कम किया जा सके। विनिर्माण प्रक्रिया में सटीक फोरकास्टिंग जुडऩे से पूरे उद्योग को न केवल अपना बिक्री मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि वे स्टेज अपने आप कम हो जाएगा। यह पर्यावरण, उद्योग और उपभोक्ता सभी के लिए लाभप्रद है।

गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जीईएआर के सचिव अरुण गुप्ता) ने इस बारे में कहा, कि हमारी समृद्ध संस्कृति पूरे महाद्वीपों से लोगों को आकर्षित करती है और सटीक फैशन-फोरकास्टिंग के जरिये हम न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अपना सांस्कृतिक विस्तार कर सकते हैं, जहां भारतीय और प्रवासी दोनों को हर मौसम में कुछ नया मिल सकता है। हम समृद्ध राजस्थानी संस्कृति के सीमाओं से परे निर्यात की उम्मीद करते हैं और पूरी तरह आश्वस्त हैं कि फैशन-फोरकास्टिंगइस उद्देश्य को व्यवस्थित रूप से पूरा करने के लिए बिलकुल सही तरीका है।

 

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